अब फिर इन सुनसान रास्तों पर मैं चलना चाहता हूं.../ अशआर



अशआर : 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~अब फिर इन सुनसान रास्तों पर मैं चलना चाहता हूं,फिर से वही इश्क़ के दौर से अब गुजरना चाहता हूं।
मैं ठीक हूं जहां भी हूं तुझसा नहीं कोई तो क्या करूं,मेरे रास्ते मुझसे है और मैं वही पकड़ना चाहता हूं। 
करता तो रोज़ कोशिश हूं मैं अपने रास्ते ढूंढने की,ये रास्ते गुमनाम हैं और मैं बस भटकना चाहता हूं।
तुझसे फिर मिलेंगी ये आंखें उम्मीद भी नही करता,फिर भी एक बार तेरी आंखों में खटकना चाहता हूं।
बिखर कर सवरना आता है मुझे अब बहुत अच्छे से,शायद इसीलिए अब हर बार बस बिखरना...
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Published on January 19, 2022 09:05
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