सूरज से गुफ्तगू #25

खुदको समजा लिया है
तुझको मना लिया है
इकरस जितना ऊंचा नहीं उड़ेंगे
हम दोनों जितना बटोर सके उसी में खुश हो लेंगे
ज्यादा ख्वाहिशे नहीं रखेंगे
वरना शायद दो जिस्म एक जान जैसा कुछ खो देंग।





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Published on December 03, 2020 23:06
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