Narendra Modi Swearing-In /Oath chart’s analysis (2019) नरेंद्र मोदी शपथ ग्रहण 2019 मुहूर्त का ज्योतिषीय आंकलन
भारत की नई केंद्र सरकार के सिरमौर श्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई संध्या 19:04 बजे प्रधान मंत्री पद की शपथ ली। इस बार 13 अंश 38 मिनट पर वृश्चिक लग्न की कुंडली है जिसका स्वामी मंगल अष्टम भाव में मिथुन मयी है जो कि उसके लिए शत्रु राशि है। वह आर्द्र नक्षत्र में है जो कि राहु स्वामित्व का है। नक्षत्र देवता रुद्र है, स्वभाव कठोर, तीक्ष्ण व हिंसक है। फिर मंगल साथ ही छठे का स्वामी होकर राहु संग अंगारक योग बना रहा है। किसी योद्धा के व छंटे हुए बदमाश के गुण मिलने से कैसा परिणाम उपजेगा?
लग्नेश मंगल का राहु केतु से संबंध है। कटु वचन, शब्दों के बाण भावनाओं को आहत कर राष्ट्र में उन्माद व टकराव की स्थिति रह रह कर बनाते रहेंगे। सरकार व सार्वजनिक जीवन में कहा कुछ जाएगा, समझा कुछ और जाएगा। सरकार अनुसंधान सम्बन्धी
कई कार्य गुपचुप रूप से भी करती/करवाती रहेगी|
इस अंगारक युति के सामने शनि केतु भी युति कर बैठे है द्वितीय भाव में। क्षतिपूर्ति के लिए है केवल गुरु| मंगल व अष्टम भाव पर लग्न विराजित पंचमेश गुरु की 85-86% दृष्टि अच्छी है, पर गुरु स्वयं सामान्य स्थिति में हैं, सो पर्याप्त नहीं।
दशमेश सूर्य सप्तम भाव में वषृभ राशि व रोहिणी नक्षत्र के चतुर्थ पद में है। नवग्रहों में सूर्य भाव मध्य के
सबसे निकट (1 अंश) है।
सरकार का शीर्ष नेतृत्व बहिर्मुखी, प्रखर होगा व डंके की चोट पर शासन का प्रयास करेगा|
कभी कभी सरकार अपने संपर्क, संबंधों, लोकाचार में अति भी कर देगी। अति उदारता की हो सकती है, कठोरता की भी।
इस कुंडली में नवमेश चन्द्र पंचम में वर्गोत्तम बैठा है, तथा दशमेश सूर्य सप्तम में वर्गोत्तम बैठा है। देश को सभी क्षेत्रों में योग्य, लाभकारी शीषर नेतृत्व मिलेगा।
सूर्य अब लग्न को देखता है और अंशात्मक ननकटता भी है|
मंगल और सूर्य के स्वामित्व और स्थिति आदि बताते है कि सरकार के दैनिक कार्य कलाप में संघर्ष की क्षमता, निर्णय क्षमता व आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं दिखती है।
राष्ट्र कुछ कठोर, कष्टकारी परिवर्तनों से होकर निकलेगा। अष्टमेश बुध पर पंचमेश गुरु की लग्न से दृष्टि बचाव का कार्य करती है। सरकार के ही बड़बोले अनाड़ी रायता फैलाएंगे पर अंत में समझदार उसे समेट लेंगे।
परन्तु नेतृत्व की दृढ़ता का अर्थ यह नहीं कि परिस्थितियां सुगम होगी। समस्या वहीं है। सरकार तो अधिकतर सीधी चलेगी पर परिस्थितियां विकट से विकट समलेंगी।
सूर्य की अष्टमेश बुध से युति है। सरकार के दैनिक कार्य कलाप अनेक कारणों से रुकते रहेंगे, कारणों में से एक युद्ध/युद्ध सी स्थिति है, दूसरा विदेशी शक्तियों द्वारा परोक्ष अपरोक्ष रूप से देश में फैलाया रायता है।
सप्तमेश व द्वादशेश शुक्र छठे भाव में होकर भी लग्न को 84% दृष्टि से देखता है|
विदेशी शक्तियां देश के दशा दिशा को नकारात्मक रूप से प्रभाववत करने के पूरे प्रयास करेंगी| इस उद्देश्य में
वे धन, वैभव, स्त्री का प्रयोग करेंगे|
सरकार अपनी अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति व विदेश संबंधों के हित साधन के लिए रक्षा बजट के धन व सैन्य
परियोजनाओं, सामरिक ध्रुवीकरण आदि का प्रयोग भी करेगी।
प्रजापति का छठे भाव में भाव मध्य से केवल 3 अंश पर होना दर्शाता है कि सामान्यतः शांत रहने वाली भारत सरकार भी अचानक युद्ध को आतुर होगी व अपने शत्रुओं (आंतरिक, बाहरी) को साधने में बहुत रुचि दिखाएगी। इसका एक प्रभाव यह भी है कि शत्रु की चाल पढ़ने में सरकार से भूल होगी।
इन 5 वर्षों में देश के भीतर सामुदायिक सदभाव बिगड़ने से उत्पन्न स्थिति दिखती है। और बाहर अन्य देशों से कुछ युद्ध होने की आशंका भी दिखती है।
ऐसा केवल भारत के कुछ कह या कर देने से नहीं होगा। शत्रु भरपूर शत्रुवत व्यवहार करेंगे और इसी लिए दंड के पात्र होंगे। कितनी भी विपदा या शत्रु आ जाएं, यह सरकार शत्रुता तो निभाएगी ही, पर कुछ भी करके प्रजा को भी हानि से बचाना चाहेगी।
पंचमेश गुरु लग्न में है पर भाव मध्य से अंशात्मक दूरी है।
पंचमेश गुरु व दशमेश सूर्य समसप्तक है किन्तु फिर से अंशों की दूरी इस योग के प्रभाव में कमी करती है।
पर ये नैसर्गिक व स्वामित्व आधारित शुभता वाले गुरु ही तीन ग्रहों (चन्द्र, मंगल, बुध) पर लगभग पूर्ण दृष्टि व सूर्य, राहु पर आंशिक दृष्टि डाल कर हाहाकार फैलने लने से रोक रहे हैं।
उतार चढ़ावों से भरे कार्यकाल में यह सरकार बहुत विषम परिस्थितियों का साक्षात्कार करेगी। छठा व सातवां भाव सक्रिय हैं। भीतर और बाहर के शत्रु घेरेंगे। यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा तो जैसे तैसे कर लेगी। पर बहुत कठिनाइयों व शत्रुओं से निपटने के बाद ही। इन भीषण युद्धों का अंत शत्रुओं की बुरी पराजय से होगा। शत्रु राष्ट्र के भी हो सकते है, सरकार के भी।
डंके की चोट पर राज करने वाली सरकार जन हित जान कर कुछ कठोर निर्णय भी लेगी, जिन से जनता की त्वरित प प्रतिक्रिया त्राहि त्राहि की होगी। कठोर किन्तु शुभचिंतक अभिभावक सा मान लें।
चार सबसे क्रूर ग्रहों का अग्नि व वायु राशियों में परस्पर घनिष्ठ युति, दृष्टि से टकराना अच्छा नहीं|अग्नि के एक स्तोक को प्रचुर वायु प्राप्त हो जाये तो भीषण दावानल बन जाता है| तकनीकी विस्तार में जाये बिना केवल इतना कहूंगा कि आकाश में युद्ध, वायुसे फैले जैविक या रासायनिक प्रयोग, वायु से फैले संक्रामक रोग, किसी ऊंचे भवन में आग आदि की पूरी संभावना है|
पर सब कुछ बुरा बुरा तो कहीं होता नहीं| अच्छा क्या हो सकता है?
सूचना व संचार क्षेत्र में कोई बड़ी योजना, परिवर्तन, उपलब्धि आदि आ सकती है| ऐसा कुछ जिसे भविष्य में एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि या मील का पत्थर माना जाएगा|
मंगल की क्षीणता के कारण लग्नाधिपति का दायित्व वृश्चिक के प्रतिनिधि केतु पर आता है, जो द्वितीय
भाव में उपस्थित है|पर शनि से घनिष्ठ युति (1 अंश) खींच तान, रोये पिटे बिना कोई बड़ा काम होने नहीं देगी|
देश के आर्थिक संसाधन, शेयर बाजार आदि में उथल पुथल रहेगी। विचित्र रूप से सूचकांक कभी बहुत ऊपर तो कभी बहुत नीचे जाएगा| शेयर बाजार व अन्य उच्च अनिश्चितताओं के निवेश करने वालों से फिर निवेदन करूंगा। थोड़ा सा और सावधान हो जाएं।
सरकार स्थिति नियंत्रण में रखने के भरसक प्रयत्न करेगी, किन्तु पूर्ण सफलता नहीं समलेगी। अर्थव्यवस्था व राजकोष का जोड़तोड़ बैठाना ही सरकार का अधिकांश समय खा जाएगा| सरकार इस बार अन्य देशों व संस्थाओं से अपने संबंधों के आधार पर उनसे कुछ आर्थिक लाभ प्राप्त करना चाहेगी|
कितना आया कितना गया, कितना है .. यही सब पैसों का व व्यापार का लेन देन|
इस बार की वृषभ, रोहिणी संचालित सरकार कुछ बड़े सपनों पर काम करेगी। उसकी रुचि/ध्यान मुख्यत: इन पर होगा :
– दूसरे देशों से संबंध कैसे हैं, हम उन्हें क्या दे रहे हैं, उनसे हमें क्या मिल रहा है
– व्यापारियों, उद्योगपतियों से संपर्क
– पर्यटन
– राजकोष व अर्थव्यवस्था
– सूचना व संचार क्षेत्र
अष्टमेश बुध का सप्तम में व सप्तमेश शुक्र का छठे में जाना अच्छा नहीं।
विदेश मंत्रालय व नीति कभी कभी अचानक डांवाडोल हो सकते है, नेतृत्व में परिवर्तन आदि के कारण।
यहां सूर्य का हस्तक्षेप स्थिति नियंत्रण में रखता है।
मोदी सरकार का नाम इन 5 वषों में देश विदेश में और फैलेगा, पर कभी कभी बुरे परिप्रेक्ष्य में भी। क्योंकि
सप्तम के सूर्य बुध का राशि स्वामी शुक्र नैसर्गिक शत्रु राशि गत हो कर छठे में बैठा है।
अष्टम भाव का प्रबल होकर लग्नेश मंगल से संबंध बना लेना दर्शाता है कि सरकार गूढ, अनछुए, दबे कुचले को धूल झाड़ कर उपयोग में लाएगी। पर प्राकृतिक आपदाओं व दुर्घटनाओं का भी प्रभाव अधिक होगा।
मंगल आर्द्र नक्षत्र में है जो राहु के आधिपत्य में है। आर्द्र एक शांत नक्षत्र तो कदापि नहीं है।
सरकार के बोल नपे तुले सटीक, कुछ रूखे व नीतियां आक्रामक होंगी। पर वो जितना अनुशासन से सबको चलाना चाहेगी, उतना ही मुख्य धारा से बाहर के लोग (झोलाछाप वामपंथी, नक्सली, छिपे हुए शत्रु) बवाल मचाएंगे।
सो सरकार समय समय पर सार्वजनिक रूप से झुंझलाती रहेगी।
यह एक सरल, सुगम, शांत कार्यकाल नहीं; ठीक उसके उलट है। इस बार काल के गर्भ से अमृत भी निकलेगा और विष भी।


