पाकिस्तान – अब आगे क्या?
विंग कमांडर अभिनंदन वापस आ गए हैं। पाकिस्तानी एफ़ 16 गिरा दिया गया और एक पायलट की मौत हो गई। पुलवामा का बदला जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) के आतंकवादी शिविरों का विनाश कर ले लिया गया है। और अब हमारे देश के वे लोग जो क्षमा की प्रार्थना करते रहते हैं वे फिर से तत्काल शांति वार्ता शुरू करने की उत्कंठा लिए बैठ गए हैं।पाकिस्तान कहाँ है - भारत के संबंध प्रगाड़ हो रहे हैं और ऐसे में पाकिस्तान के लिए आगे क्या बदा है? पुलवामा हमलों के बाद पूरा देश निराशा और गर्त में डूब गया था और सभी के मन में बदला लेने का भाव था। कुछ ही दिन बीते थे कि विपक्षी नेताओं ने व्यंग्यात्मक टिप्पणियाँ करनी शुरू कर दी थीं। बारह दिनों बाद भारतीय वायु सेना ने कड़ी टक्कर दी और पाकिस्तान में घुसकर उसके जैश-ए-मोहम्मद के तीन प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर दिया और जिन 300 से 400 आतंकवादियों को वहाँ प्रशिक्षित किया जा रहा था, उन्हें तक मार गिराया। मारे गए आतंकवादियों में संगठन के 25 नेता भी शामिल थे। इस ओर ध्यान देना दिलचस्प होगा कि वे मुख्य रूप से अजहर मसूद के "पारिवारिक" सदस्य थे जो नेतृत्व के पदों पर थे (यहाँ इसका दूसरा और कोई अर्थ नहीं है)!इस हमले की पूरे देश में सराहना हुई। यह भी आश्चर्यजनक था कि हर विपक्षी नेता भारतीय वायु सेना को बधाई दे रहा था, जो वास्तव में उसकी हक़दार भी थी, लेकिन इनमें से किसी भी राजनेता ने प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए मजबूत निर्णय को स्वीकार नहीं किया। तिस पर विडंबना यह है कि हमलों के बारे में इतना शोर करने के बाद, ये राजनीतिक दल अब भारतीय वायुसेना की कार्रवाई का राजनीतिकरण करने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।उसके अगले दिन पाकिस्तानी एफ़ 16 लड़ाकू जेट विमानों ने भारतीय आकाशी क्षेत्र (इंडियन एयर स्पेस) में प्रवेश करने की कोशिश की और जिन्हें हमारे जाँबाजों ने आगे बढ़ने से रोक दिया। इनमें से एक आधुनिक जेट को विंग कमांडर अभिनंदन ने ध्वस्त कर दिया, जिसे उन्होंने बंदी बना लिया। जिनेवा सम्मेलन में तय मसौदों के तहत और बहुत सारे कूटनीतिक और राजनीतिक पैंतरे अपनाए जाने के बाद उन्हें युद्ध नायक के रूप में छोड़ दिया गया। तो अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रेस के कुछ लोग दूसरी बाजू हो गए?इमरान खान कैसे राजनयिक कूटनीतिज्ञ बन गए और क्या हुआ कि हमारे कई पत्रकार और विपक्षी राजनेता पाकिस्तान को इतना श्रेय देने लगे।यह मुझे हैरत में डाल देता है कि प्रेस के कुछ वर्गों ने यह टिप्पणी करना शुरू कर दी है कि युद्ध क्यों कभी कोई जवाब नहीं होता है। विपत्तियों के अमानवीय पुलिंदे से कोई कैसे इनकार कर सकता है। और तब जब आप देखते हैं कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा कितने ही वर्षों से हमारे देश को कितनी चोट पहुँचाई गई है, तो क्या ये पत्रकार हमें पीछे खींचने और यथास्थिति में वापस जाने की बात कर सकते हैं?कुछ पत्रकार सवाल कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री अपने सामान्य कार्य दिवसों में कैसे लौट गए। पर उन्हें क्यों नहीं लौटना चाहिए? मुझे यकीन है कि वे हर स्थिति का बारीकी से जायजा ले रहे हैं और उनके पास उत्कृष्ट नेताओं की टीम है जो इस मामले को अधिक मुस्तैदी से सीधे तौर पर संभाल रही है। यदि प्रधानमंत्री इसी मामले पर सारा समय लगा देते तो यहीं पत्रकार उनसे ऐसा पूछते हुए देखे जा सकते थे कि वे वैसा क्यों कर रहे हैं!कुछ पत्रकार पूछ रहे हैं कि क्या भारत के पास कोई रक्षा मंत्री है? मैं इस टिप्पणी को नहीं समझ पा रहा था। रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अलावा, तीनों सेनाओं के प्रमुखों से मिलकर बना दल है और यह वही कोर टीम है जिसे प्रधान मंत्री की प्रत्यक्ष देखरेख में हर मुद्दे को विस्तार से संभालना होता है।कुछ राजनेता हड़कंप मचा रहे हैं कि प्रधान मंत्री द्वारा सभी राजनीतिक गतिविधियों को रोका जाना चाहिए। क्या उन लोगों ने अपनी तरफ से सारी राजनीतिक गतिविधियों को रोक दिया है? इसका उत्तर स्पष्टत: ‘ना’ है।भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने उनकी पार्टी राज्य में कितनी सीटें जीतेगी, इसकी घोषणा कर दी है। मुझे लगता है कि यह बहुत ही असंवेदनशील टिप्पणी है और इसकी हर हाल में निंदा की जानी चाहिए।इसके अलावा एक बड़े राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं जो बेलगाम बोले जा रहे हैं कि कैसे पुलवामा का पूरा घटनाक्रम सत्तारूढ़ दल द्वारा खेला गया नाटक था। ऐसी सोच की हर संभव तरीके से कड़ी आलोचना, निंदा होनी चाहिए। यह केवल उस मुख्यमंत्री की सोच को दर्शाता है।मैं दृढ़ता से आग्रह करूँगा कि हमें अपनी चुनी हुई सरकार को उसका काम करने देना चाहिए।दूसरी ओर, पाकिस्तान गंभीर संकट में है।उनकी अर्थव्यवस्था दिवालिया हो चुकी है, और हालाँकि उन्हें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और चीन से कुछ पैसे मिल जाते थे, लेकिन अब यह सारा पैसा अटक गया है। अब उनके लिए मुफ़्त की दावत नहीं है और वे आज जो दरियादिली दिखा रहे हैं उसे किसी दिन उनसे निचोड़कर ले लिया जाएगा।प्रधान मंत्री इमरान खान वहाँ की शक्तिशाली सेना की कठपुतली मात्र है जिसका एकल बिंदु एजेंडा केवल भारत के खिलाफ युद्ध जारी रखना है। उनके पास उनके बने होने का और कोई कारण भी नहीं है।पाकिस्तान ने अपनी तमाम सीमाओं ईरान, अफगानिस्तान और भारत की ओर से खुद परेशानी मोल ले ली है। उसका मौसमी मित्र चीन केवल ‘चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी)’ के कारण उससे स्वार्थी वित्तीय साझेदारी को निभा रहा है।कोई भी निवेशक पाकिस्तान में आने और निवेश करने के लिए तैयार नहीं है।ढेर सारे वादे करने के बावजूद, पाकिस्तान की ओर से उसकी सेना द्वारा समर्थित आतंकवादी शिविरों के खिलाफ कोई विश्वसनीय कार्रवाई किए जाने की उम्मीद नहीं है।अंतत: सेना को हर बार इस देश पर शिकंजा कसते रहना पड़ेगा और जब भी कोई राजनेता उनका सिर ऊँचा उठाने की कोशिश करेगा, ये लोग उसे गिरा देंगे या नियंत्रित कर डालेंगे।इस विषय पर अंतिम शब्द नहीं लिखे गए हैं। अंतिम गोली अभी नहीं चली है और हमने अंतिम जान नहीं खोई है। यह एक लंबी लड़ाई है जिसने कई लोगों को लहूलूहान कर दिया है और आगे भी कई लोगों की जानें जाती रहेंगी।पाकिस्तान को कुछ गंभीर विश्वास निर्माण उपाय करने की आवश्यकता है जिनमें शामिल हैं:चीन को अजहर मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने और उसे ट्रायल के लिए सौंपने की अनुमति प्रदान करने देना।हाफिज सैय्यद को 26/11 हमले के मुकदमे के लिए भारत को सौंपना। मुंबई हमलों के सूत्रधार दाऊद इब्राहिम को सौंपना।इन तीनों आतंकवादियों को सौंपने को प्रारंभक के तौर पर देखना होगा, लेकिन पाकिस्तान के बारे में जो लोकप्रिय राय है, उसे देते हुए इसकी संभावना बहुत कम है कि पाकिस्तान सेना कभी भी अपनी प्रमुख आतंकवादी भुजाओं को सौंपने के लिए सहमत होगी!इस कार्रवाई के बाद ही उन्हें कश्मीर पर बातचीत करने के लिए कहा जाना चाहिए।हमारे लिए पुलवामा को जल्द भूला पाना और सभी को माफ कर हमसे आगे बढ़ने की उम्मीद करना अवास्तविक है। जैसा कि कहा जाता रहा है, मैं कहना चाहूँगा कि हमें उन्हें माफ कर देना चाहिए अगर वे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं लेकिन हमें उन नुकसानों को कभी नहीं भूलना चाहिए जो उनकी वजह से हमें हुए हैं।*******************लेखक कार्यकारी कोच और एंजेल निवेशक हैं। राजनीतिक समीक्षक और टीकाकार के साथ वे गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। वे 6 बेस्ट सेलर पुस्तकों – द ब्रांड कॉल्ड यू- The Brand Called You रीबूट- Reboot. रीइंवेन्ट Reinvent. रीवाईर Rewire: 21वीं सदी में सेवानिवृत्ति का प्रबंधन, Managing Retirement in the 21st Century; द कॉर्नर ऑफ़िस, The Corner Office; एन आई फ़ार एन आई An Eye for an Eye; द बक स्टॉप्स हीयर- The Buck Stops Here – लर्निंग ऑफ़ अ # स्टार्टअप आंतरप्रेनर और Learnings of a #Startup Entrepreneur and द बक स्टॉप्स हीयर- माय जर्नी फ़्राम अ मैनेजर टू ऐन आंतरप्रेनर, The Buck Stops Here – My Journey from a Manager to an Entrepreneur. के लेखक हैं। ट्विटर : @gargashutosh इंस्टाग्राम : ashutoshgarg56 ब्लॉग : ashutoshgargin.wordpress.com | ashutoshgarg56.blogspot.com अनुवादक- स्वरांगी साने – अनुवादक होने के साथ कवि, पत्रकार, कथक नृत्यांगना, साहित्य-संस्कृति-कला समीक्षक, भारतीय भाषाओं के काव्य के ऑनलाइन विश्वकोष-कविता कोश में रचनाएँ शामिल। दो काव्य संग्रह- काव्य संग्रह “शहर की छोटी-सी छत पर” मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित और काव्य संग्रह “वह हँसती बहुत है” महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित।
Published on March 04, 2019 22:22
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