भूख से लड़ने में हम अभी भी नाकाम हैं

हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स (वैश्विक भूख सूचकांक) जारी हुआ है. भारत इसमें कोई खास उपलब्धि हासिल करने में नाकाम रहा. हालांकि विपक्ष के उस दावे को सही नहीं माना जा सकता कि 2014 के बाद नई सरकार आने के बाद भारत की स्थिति ज्यादा बदतर हुई है, लेकिन यह सही है कि प्रगति बेहद मामूली हुई है. खासकर नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में. विश्व बैंक के मानव पूंजी सूचकांक में भारत काफी निचले पायदान पर है. 
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, विश्व बैंक के आंकड़ों में काफी खामियां हैं और उसकी गणना की विधि खराब है. वैसे कुछ तथ्य पेश-ए-नजर हैंः
1. वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान 119 देशों की सूची में 103वां रहा. चीन 25वें, श्रीलंका 67वें, म्यांमार 68, नेपाल 72, बांग्लादेश 86वें स्थान पर रहा. मित्रों को खुशी होगी, पाकिस्तान 106 स्थान के साथ भारत से नीचे रहा. नहीं?
2. विश्व बैंक के नए मानव पूंजी सूंचकांक में भारत 157 देशों की सूची में 115वें स्थान पर रहा.
3. 2018 के वैश्विक भूख सूचकांक में भूख के गंभीर स्तर वाले 45 देशों में भारत भी शामिल है.
4. 21 फीसदी भारतीय बच्चे, जिनकी उम्र 5 साल से कम है, अत्य़धिक कम वजन के हैं. साल 2000 में यह 17 फीसदी थी,
5.भारत के 14.8 फीसदी लोग कुपोषण के शिकार हैं, जो 2000 के 18.2 फीसदी की तुलना में कम है, बाल मृत्यु दर 9.2 से घटकर 4.3 रह गई है और बाल बौनापन 54.2 से घटकर 38.4 रह गई है.
6. भारत के 19.4 करोड़ लोग रोज भूखे रहते हैं, यह आंकड़ा यूएन का FAO का है. जबकि भारत के लोग सालाना 14 अरब डॉलर का भोजन बर्बाद करते हैं.


सभी मित्रों की सरदार पटेल की प्रतिमा, जो दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा है के अनावरण की बधाई. इसकी लागत कोई 2400 करोड़ रु. है 650 करोड़ रु. इसके रखरखाव पर खर्च होंगे.


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Published on October 31, 2018 08:12
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