महाशिवरात्रि
वह शक्ति है, वह शँकर है,वह प्रेम सतत् निरंतर है।
वह शैलसुता का निर्दोष हठगौरी के मन का मन्दिर है।
वह नीलकंठ का गरल भी है,वह क्लिष्ट भी है, वह सरल भी है।
वह शून्य का एक कोलाहल हैवह शाश्वत स्वर की हलचल है।
वह गौरी-गौरव का दर्पण है,वह पुरूष का पूर्ण समर्पण है।
वह जीवन का रक्षक महादेववह चिर-विद्रोही का स्वर है।
वह बँधा हुआ एक सागर हैवह प्रलय नृत्य भयंकर है।
वह सतत प्रेम निरंतर है,वह शक्ति है, वह शंकर है। - साकेत, 14.02.2018
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Published on February 13, 2018 10:53