Ghazal #2

मेरे दिल का जो क़रार था शायद तुम्हारा ख़ुमाार था फेहरिश्त-ए-कातिल-ए-जिगर मिली मेरा नाम उसमें शुमार था दामन से उलझता रहता था तन्हा बहुत वो ख़ार था फूंक डालूंगा मैं दिल की दुनिया क्या जुनून मुझको सवार था जिससे मैं झूमता रहता था मेरे दिल का कोई आज़ार था बेसाख़्ता अश्कों का सबब इज़हार नहीं … Continue reading "Ghazal #2"
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Published on December 20, 2017 18:30
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