पलाश में जो चिंगारी लहकती थी, उसका पता 'मोह' था

तुम्हें उसके बनाए शहर बहुत अच्छे लगते हैं। तुम कहते हो अक्सर। तुम्हारे शहरों में जा के रहने का मन करता है। वहाँ का आसमान कितने रंग से भरा होता है। वहाँ की बारिश में हमेशा उम्मीद रहती है कि इंद्रधनुष निकलेगा। कैसे तो दिलकश लोग रहते हैं तुम्हारे शहरों में। सड़कें थरथराती हैं। दिल धड़कता है थोड़ा सा तेज़। लड़कियाँ कैसी तो होती हैं, बहती हुयी नज़्म जैसीं। तुम ये जो शहर लिखती हो, उनमें मेरे नाम से एक फ़्लैट बुक कर दो ना? मैं भी छुट्टी में वहाँ जा कर कभी हफ़्ता दो हफ़्ता रहूँगा। अपनी तन्हाई में ख़ुश...इर्द गिर्द की ख़ूबसूरती में सुकून से जीता हुआ। बिना किसी घड़ी के वक़्त गुज़रता रहे। बस जब मियाद पूरी हो जाए तो नोटिस आ जाए, कि साहब कल आपको फ़्लैट ख़ाली करना है। मैं चैन से अपनी आधी पढ़ी हुयी किताबें...कुछ तुम्हारी पसंद के गीत और बहुत सी ख़ामोशी के साथ लौट आऊँ एक ठहरी हुयी ज़िंदगी में।

तुम्हें मैंने कभी बताया कि मैं ये शहर क्यूँ लिखती हूँ?

दुनिया के किसी भी शहर में तसल्ली से रोने को एक कोना नहीं मिलता, इसलिए।
दिल में, आत्मा में, प्राण में...दुःख बहुत है और वक़्त और भी ज़्यादा, इसलिए।
लेकिन सबसे मुश्किल ये, कि बातें बहुत हैं और लोग बिलकुल नहीं, इसलिए।

लेकिन तुम्हें क्या। तुम जाओ। मेरे बनाए शहरों में रहो। तुम्हें मुझसे क्या मतलब। कुछ ख़ास चाहिए शहर में तो वो भी कह दो। समंदर, नदी, झरने...मौसम... लोग। सब कुछ तुम्हारी मर्ज़ी का लिख दूँगी। इसके सिवा और कुछ तो कर नहीं सकती तुम्हारे लिए। तो इतना सही। जिसमें तुम्हारी ख़ुशी।

मास्टर चाभी चाहिए तुमको? नहीं मेरी जान, वो तो नहीं दे सकती। उसके लिए तुम्हें मेरा दिल तोड़ना पड़ेगा। सिर्फ़ उन लोगों को इन शहरों में कभी भी आने जाने की इजाज़त मिल जाती है। दिल तोड़ने की पहली शर्त क्या है, मालूम? 
तुम्हें मुझसे इश्क़ करना पड़ेगा। 
ये तुम अफ़ोर्ड नहीं कर पाओगे। सो, रहने दो। जब दिल करे, लौट आना वापस दुनिया में। मैंने तुम्हारे लिए ख़ास शहर लिख दिया है। "मोह"। नाम पसंद आया? शहर भी पसंद आएगा। पक्का। सिगरेट की डिब्बी से खुलता है रास्ता उसका। कोडवोर्ड सवाल जवाबों में है। वहाँ पूछेगा तुमसे, 'हम क्लोरमिंट क्यूँ खाते हैं?' तुम मुस्कुराना और दरबान की हथेली में माचिस की एक तीली रख देना। मुस्कुराना ज़रूर, बिना तुम्हारे डिम्पल देखे तुम्हें एंट्री नहीं मिलेगी। 
मोह कोई बहुत मुश्किल शहर नहीं है। दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत शहरों में से एक है। बहुत से लोग रहना चाहते हैं इस शहर में। मौक़ा मिले तो सारे लोग ही, भले कुछ कम वक़्त के लिए सही। लेकिन रहना ज़रूर चाहते हैं। शहर में जाओगे तो कई लोग मिलेंगे। दिलकश क़िस्म के। बिलकुल तुम्हारी पसंद वाले। हँसती लड़कियाँ कि जिन्हें दुनिया की फ़िक्र नहीं होती। बेहद ख़ूबसूरत सड़कें कि जिनके दोनों ओर पलाश के जंगल हैं...लहकते हुए, कि इन जंगलों में कभी पतझर नहीं आता। हमेशा मार्च ही रहता है मोह की सड़कों पर...लाल टहकते पलाश वाला मौसम। होली की फगुनाहट में बौराया मौसम। सजता संवरता मौसम। तुम्हारे गालों पर लाल अबीर रगड़ने को और बदमाशी से फिर भाग जाने को तैयार मौसम। 
नीली नदियाँ होंगी जिनका पानी मीठा होगा। नदी किनारे मयखाने होंगे जिनमें बड़े प्यारे कवि और किस्सागो मिलेंगे तुम्हें। सब तुम्हारी पसंद के लोग। वो कौन सब पसंद हैं तुम्हें - रेणु, मंटो, इस्मत...सब ही। मंटो तो ख़ास इसलिए होगा कि मुझे भी पसंद है बेहद। तुम उससे मेरे बारे में मत पूछना। तुम्हें जलन होगी। मंटो के हम ख़ास फ़ेवरिट हैं। उतना प्यार वो किसी और से नहीं करता। मंटो से लेकिन बात करोगे तो उसके साथ बैठ कर दारू पीनी पड़ेगी। उस पब में नॉन-अलकोहोलिक कुछ नहीं मिलता। पानी तक नीट नहीं मिलता वहाँ। शीशा ज़रूर ट्राई करना वहाँ, ख़ास तौर से ग्रीन ऐपल फ़्लेवर वाला। उफ़्फ़ो, हर चीज़ में सिंबोलिस्म मत खोजो। कुछ ख़ास नहीं, मुझे बहुत अच्छा लगता है वो फ़्लेवर इसलिए। वहाँ अगर अकेले बैठोगे तो शायद मेरी याद आए, ऐसा हुआ तो मेरे लिए एक पोस्टकार्ड ज़रूर लिखना। 
तुम्हारे लिए शहर में कई गलियाँ होंगी और किताबों की कई सारी दुकानें भी। तुम्हारी पसंद के फ़ूड स्टॉल्ज़ भी होंगे। माने, जितना मुझे मालूम है तुम्हारे बारे में, उस हिसाब से। बाक़ी पिछले कई सालों में तुम अगर बहुत बदल गए होगे तो हमको मालूम नहीं। तुम्हारे फ़्लैट में किचन भी होगा छोटा सा। मेरे शहर का खाना पसंद नहीं आए तुम्हें तो ख़ुद से खाना बना कर भी खा सकते हो। वैसे तो सारे फ़्लैट्स में कुक होती है लेकिन फिर भी, अपने हाथ के खाने का स्वाद ही और है। मेरी पसंद का खाना खाने का मन करे तो मेरे घर की ओर निकल आना। शहर के सबसे अच्छे फ़ूड स्टॉल्ज़ मेरे घर के इर्द गिर्द ही होते हैं। वहाँ कढ़ी चावल बहुत अच्छा मिलता है। इसके अलावा मीठे की हज़ार क़िस्में। रसगुल्ला, काला जामुन, पैनकेक...पान क़ुल्फ़ी...क्या क्या तो। इन फ़ैक्ट, Starbucks भी है वहाँ। पर तुम वहाँ जा के मेरी पसंद की आइस्ड अमेरिकानो मत पीना, वरना सोचोगे कि हम पागल हो गए हैं कि इतनी कड़वी कॉफ़ी पीते हैं। 
हाँ, फूल तुम्हें कौन से पसंद हैं? बोगनविला लगा दूँ तुम्हारे फ़्लैट के बाहर? या वही जंगली गुलाब जो तुम्हारे उस वाले घर में थे जहाँ से फूल तोड़ना मना था। क्या है ना कि बोगनविला ज़िद्दी पौधा है। मेरी तरह। ध्यान ना भी दोगे तो भी खिलता रहेगा हज़ार रंगों में। समय पर बता देना। वक़्त लगता है फूल आने में। वरना कहोगे क्या ही झाड़ झंखाड़ लगा दिए हैं तुम्हारे फ़्लैट पर। और कोई भी छोटी बड़ी डिटेल जो तुम्हारे रहने को ख़ुशनुमा कर सके, बता देना। ठीक?
ख़ास तुम्हारे लिए लिखा है शहर। पूरी तरह से जीना इसे। जब तक कि दिल ना भर जाए। बस एक ही हिदायत है। मुझे तलाशने की कोशिश मत करना। मैं कभी मिल भी गयी तो क़तरा के निकल जाना। कि जानते हो, एंट्री गेट पर वो माचिस की तीली ही क्यूँ माँगता है मेरे शहर का दरबान तुमसे? 
इसलिए कि अगर तुम्हें मुझसे प्यार हो गया तो हमारे उस शहर में रहते ही इस असल दुनिया को आग लगा दे...और हम कभी लौट नहीं पाएँ। 
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Published on November 09, 2017 10:01
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