तुम लिखते रहो,मैं मिटाती रहूंगी
शब्द सा, याद सा, अनकहा कुछ
तुम कहते रहो, मैं छुपाती रहूंगी
वो कुछ मेरे जज़्बात सा
मैं तो वही थी,
पिघल जाती जो तेरी तर्जनी की छुअन से
ओस सा, भाप सा, भीगी बरसात सा..
तुम हो, न हो, हो भी, नही भी
हैं कुछ मेरे साथ, तुम्हारे साथ सा, पास सा..
Published on November 25, 2016 07:12