बेकार न मेरा इशारा जाये
सुमन पोखरेल
आप के हुश्न ओ शबाब को गौर से निहारा जाये
तमन्ना है कि आपको खुद ही संवारा जाये
काजल से कुछ धब्बे लागा देँ क्या रूखसार पर ?
और चाँद को हकिकत में जमीन पर उतारा जाये
आप हैं गुलसन गुलसन तो मैं भी हूँ एक परिन्दा
आपके जुल्फों का नशेमन मेँ जिन्दगी गुजारा जाये
आप मुस्कुरायें तो न शरमायें, शरमायें तो न मुस्कुरायें
बगर्ना हम से आपको देखा जाये न पुकारा जाये
चाहा है हम ने भी बोलना आपकी तरह आखों से
पकड लेना आप नजरों से, बेकार न मेरा इशारा जाये
बगैर खुस्बु के, मालूम नहीं होता शबाब ए गुल
आइये मुहब्बत से हुश्न ओ इश्क को निखारा जाये
उनकी हुश्न का जवाब खुद हुश्न से भी नही है
दुवा करो सुमन कि दूर कभी न ये नजारा जाये
Suman Pokhrel