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बेकार न मेरा इशारा जाये (An Urdu Ghazal by Suman Pokhrel)

बेकार न मेरा इशारा जाये
सुमन पोखरेल



आप के हुश्न ओ शबाब को गौर से निहारा जाये
तमन्ना है कि आपको खुद ही संवारा जाये

काजल से कुछ धब्बे लागा देँ क्या रूखसार पर ?
और चाँद को हकिकत में जमीन पर उतारा जाये

आप हैं गुलसन गुलसन तो मैं भी हूँ एक परिन्दा
आपके जुल्फों का नशेमन मेँ जिन्दगी गुजारा जाये

आप मुस्कुरायें तो न शरमायें, शरमायें तो न मुस्कुरायें
बगर्ना हम से आपको देखा जाये न पुकारा जाये

चाहा है हम ने भी बोलना आपकी तरह आखों से
पकड लेना आप नजरों से, बेकार न मेरा इशारा जाये

बगैर खुस्बु के, मालूम नहीं होता शबाब ए गुल
आइये मुहब्बत से हुश्न ओ इश्क को निखारा जाये

उनकी हुश्न का जवाब खुद हुश्न से भी नही है
दुवा करो सुमन कि दूर कभी न ये नजारा जाये


Suman Pokhrel
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Published on November 27, 2015 08:32 Tags: i-b-क-जल-b-i

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