Kush Srivastava's Blog, page 12
January 1, 2020
ठà¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥-नयॠसà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤¾ à¤à¥à¤¾à¥
वà¥à¤¸à¥ तॠहर नयॠसà¥à¤¬à¤¹ à¤à¥ पहलॠà¤à¤¿à¤°à¤£ à¤à¤ नया à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ लॠहॠà¤à¤¤à¥ हà¥,
à¤à¤¸ नठसाल à¤à¥ सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¥à¤ हसà¥à¤¨ à¥à¤¯à¤¾à¤² à¤à¤° à¤à¤¤à¥à¤¤à¥à¥à¤¾à¥ à¥à¤°à¥à¤° लॠà¤à¤¯à¥,
à¤à¤à¤¿à¤° पà¥à¤°à¥ डिà¤à¥à¤¡ à¤à¤¾ सवाल à¤à¥ था,
à¤à¤à¥ à¤à¤à¥ à¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥ à¤à¤¾ रà¥à¤ बदलनॠà¤à¥ लिठà¤à¤ लमà¥à¤¹à¤¾ हॠà¤à¤¾à¤«à¥ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥,
वà¤à¤¹ à¤à¥à¤ à¤à¥ हॠसà¤à¤¤à¥ हॠà¤à¤¸ परिवरà¥à¤¤à¤¨ à¤à¥,
à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠनà¥à¤°à¥à¤ à¤à¤¾ नà¥à¤°à¥à¤ सॠà¤à¤à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤¨à¤¾ हà¥,
या
à¤à¤¸ à¤à¤ मà¥à¤¸à¥à¤à¤°à¤¾à¤¹à¤ à¤à¥ लिठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥ सफर पॠनिà¤à¤² à¤à¤¾à¤¨à¤¾,
à¤à¤¾à¤¹à¥ à¤à¤¸ रात à¤à¤¾ दिल बहल à¤à¤¾à¤¨à¤¾ हà¥,
या
à¤à¤¸ à¤à¤µà¤¿ à¤à¤¾ दिल मà¥à¤ बस à¤à¤¾à¤¨à¤¾,
à¤à¤¾à¤¹à¥ à¤à¤¨ à¤à¤¾à¤ªà¤¤à¥ हà¥à¤ हाà¤à¤¥à¥à¤ à¤à¤¾ थाम लà¥à¤¨à¥ à¤à¥ à¤à¤¾à¤¹ हà¥,
या
à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ लिठà¤à¥à¤ à¤à¤° à¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¥à¤¬à¤¾,
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हर वॠलमà¥à¤¹à¤¾ à¤à¤ यादॠà¤à¥ à¤à¥à¥ पिरॠहॠदà¥à¤¤à¤¾ हà¥,
à¤à¤à¥ à¤à¤¾à¤à¤¤à¥ थॠà¤à¤¿à¤¸ याद सà¥,
à¤à¤ à¤à¤¸à¥ à¤à¥ सिमà¤à¤¾ à¤à¥ à¤à¤¹à¥à¤ बà¥à¤ à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤,
यहॠà¤à¥à¤ यादà¥à¤ हॠतॠहॠà¤à¥ à¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥ à¤à¥ à¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥ à¤à¤¾ दरà¥à¥à¤¾ दà¥à¤¤à¥ हà¥,
à¤à¤à¥ पà¥à¤à¥à¤à¤à¥ à¤à¤¸ à¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥ सॠसवाल,
ठà¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥ तॠà¤à¤¹à¤¾à¤ थॠà¤à¤à¥ à¤à¥ ठà¤à¥ ठà¤à¥ यहाठहà¥,
शायद डà¥à¤¬ à¤à¤¾à¤¨à¤¾ हॠतॠहà¥,
या
डà¥à¤¬ à¤à¥ à¤à¥à¤¦ à¤à¥ पा लà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾ नाम-यॠà¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥
Source for the Image: https://indianexpress.com/article/entertainment/bollywood/dear-zindagi-deleted-scenes-shah-rukh-khan-narrates-a-beautiful-story-to-alia-bhatt-which-will-leave-you-inspired-watch-video-4510458/
December 15, 2019
गाँधी और बंदर
बंदरों का हम सबकी ज़िन्दगी में बहुत अहम् रोल रहा है.
चाहे वो हमारा एवोल्यूशन ही क्यों ना हो
या फिर
बुराई को ना देखने का, ना सुनने का और ना बोलने की हिदायत ही क्यों ना हो.
कहते हैं अच्छी चीज़ों पे फोकस करो तो ज़िन्दगी हसीन लगने लगती है,
हर इंसान के अच्छे पहलू पे फोकस करने को डेल कार्नेगी भी लिख गए है.
पर जैसे ही इन किताबों का हैंगओवर पूरा होता है,
और
गांधीजी कहीं किसी कहानी में खो जाते हैं,
फिर वही हम और हमारी क्रिटिकल शक्की नजरिया,
ये ऐसा है,
ये वैसा है,
इसने मुझे ये कैसे कहा,
उसने मुझे ऐसा कह दिया,
मुझे इसने इज़्ज़त नहीं नवाज़ी,
उसने मुझे गरिया दिया,
शिकायती टट्टू बनने में हमें बिलकुल देर नहीं लगती,
आज सुबह जब मैं कैब में आ रहा था,
तब ट्रैफिक में चलते हुए लोगों की आपा धापी देख के मैं घबरा गया,
पहले गुस्सा आया दुनिया के इस रवैये पे,
फिर दूसरे पल मैंने एक चिंता का मखौटा पहन लिया,
चिंता के बाद कुछ ना कर पाने की हताशे में मैं डूबने ही वाला था,
तभी
गांधीजी के तीन बंदरों की छवि मेरे समक्ष आ गयी और मैं हस पड़ा,
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इससे मैं टेंशन मुक्त तो हो गया
पर
क्या यही एक रास्ता है इन सब से पीछा छुड़ाने का,
ये विचार करने लगा,
आपको क्या लगता है,
इस बदलते समय में जिस तरफ हमारा देश और दुनिया अग्रसर है,
चाहे वो हो रहे रेप या हत्याएं हो,
चाहे वो सड़क पे बढ़ता हुआ गुस्सा और अग्रेशन हो,
चाहे वो पैसे के पीछे भागने की होड़ हो,
चाहे वो वैल्यू सिस्टम का समाप्त होना हो,
चाहे वो माँ बाप की सेवा करने से हाथ धो लेना हो,
चाहे वो इस वातावरण को तहस नहस कर देने का हमारा व्यवहार हो,
या
चाहे सिर्फ अपने बारे में सोचने की आदत हो,
क्या सिर्फ अच्छे पहलू को देखना ही इसका एक मात्र उत्तर है,
और अगर नहीं,
तो क्या हम सबको अपने अपने लेवल पे एफर्ट करने की ज़रुरत नहीं है,
इस ज़िम्मेदारी को हम सबको समझने की बहुत ज़रुरत है,
जिससे एक अच्छे सोसाइटी का निर्माण किया जा सके,
इसके लिए हमें गांधीजी के उन तीन बंदरों को इगनोर करना ही क्यों ना पड़े,
सवाल बस इतना सा है दोस्तों,
क्या हम खुद से ऊपर उठ कर
इस दुनिया में जी रहे और लोगों जीव जंतुओं के बारे में सोच कर
एक सही सिस्टम के निर्माण का निर्णय लेने को तैयार है या नहीं?
Source for the Image: https://navbharattimes.indiatimes.com/other/sunday-nbt/future-stars/three-monkeys-of-gandhi/articleshow/29820353.cms
à¤à¤¾à¤à¤§à¥ à¤à¤° बà¤à¤¦à¤°
बà¤à¤¦à¤°à¥à¤ à¤à¤¾ हम सबà¤à¥ à¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥ मà¥à¤ बहà¥à¤¤ ठहमॠरà¥à¤² रहा हà¥.
à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠहमारा à¤à¤µà¥à¤²à¥à¤¯à¥à¤¶à¤¨ हॠà¤à¥à¤¯à¥à¤ ना हà¥
या फिर
बà¥à¤°à¤¾à¤ à¤à¥ ना दà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¤¾, ना सà¥à¤¨à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¤° ना बà¥à¤²à¤¨à¥ à¤à¥ हिदायत हॠà¤à¥à¤¯à¥à¤ ना हà¥.
à¤à¤¹à¤¤à¥ हà¥à¤ ठà¤à¥à¤à¥ à¤à¥à¥à¥à¤ पॠफà¥à¤à¤¸ à¤à¤°à¥ तॠà¥à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤à¥ हसà¥à¤¨ लà¤à¤¨à¥ लà¤à¤¤à¥ हà¥,
हर à¤à¤à¤¸à¤¾à¤¨ à¤à¥ ठà¤à¥à¤à¥ पहलॠपॠफà¥à¤à¤¸ à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¥ डà¥à¤² à¤à¤¾à¤°à¥à¤¨à¥à¤à¥ à¤à¥ लिठà¤à¤ हà¥.
पर à¤à¥à¤¸à¥ हॠà¤à¤¨ à¤à¤¿à¤¤à¤¾à¤¬à¥à¤ à¤à¤¾ हà¥à¤à¤à¤à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥,
à¤à¤°
à¤à¤¾à¤à¤§à¥à¤à¥ à¤à¤¹à¥à¤ à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¤¹à¤¾à¤¨à¥ मà¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤,
फिर वहॠहम à¤à¤° हमारॠà¤à¥à¤°à¤¿à¤à¤¿à¤à¤² शà¤à¥à¤à¥ नà¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾,
यॠà¤à¤¸à¤¾ हà¥,
यॠवà¥à¤¸à¤¾ हà¥,
à¤à¤¸à¤¨à¥ मà¥à¤à¥ यॠà¤à¥à¤¸à¥ à¤à¤¹à¤¾,
à¤à¤¸à¤¨à¥ मà¥à¤à¥ à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤¹ दिया,
मà¥à¤à¥ à¤à¤¸à¤¨à¥ à¤à¥à¥à¥à¤¤ नहà¥à¤ नवाà¥à¥,
à¤à¤¸à¤¨à¥ मà¥à¤à¥ à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ दिया,
शिà¤à¤¾à¤¯à¤¤à¥ à¤à¤à¥à¤à¥ बननॠमà¥à¤ हमà¥à¤ बिलà¤à¥à¤² दà¥à¤° नहà¥à¤ लà¤à¤¤à¥,
à¤à¤ सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤¬ मà¥à¤ à¤à¥à¤¬ मà¥à¤ ठरहा था,
तब à¤à¥à¤°à¥à¤«à¤¿à¤ मà¥à¤ à¤à¤²à¤¤à¥ हà¥à¤ लà¥à¤à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤ªà¤¾ धापॠदà¥à¤ à¤à¥ मà¥à¤ à¤à¤¬à¤°à¤¾ à¤à¤¯à¤¾,
पहलॠà¤à¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ à¤à¤¯à¤¾ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥ à¤à¤¸ रवà¥à¤¯à¥ पà¥,
फिर दà¥à¤¸à¤°à¥ पल मà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¤ à¤à¤¿à¤à¤¤à¤¾ à¤à¤¾ मà¤à¥à¤à¤¾ पहन लिया,
à¤à¤¿à¤à¤¤à¤¾ à¤à¥ बाद à¤à¥à¤ ना à¤à¤° पानॠà¤à¥ हताशॠमà¥à¤ मà¥à¤ डà¥à¤¬à¤¨à¥ हॠवाला था,
तà¤à¥
à¤à¤¾à¤à¤§à¥à¤à¥ à¤à¥ तà¥à¤¨ बà¤à¤¦à¤°à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤µà¤¿ मà¥à¤°à¥ समà¤à¥à¤· ठà¤à¤¯à¥ à¤à¤° मà¥à¤ हस पà¥à¤¾,
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à¤à¤¸à¤¸à¥ मà¥à¤ à¤à¥à¤à¤¶à¤¨ मà¥à¤à¥à¤¤ तॠहॠà¤à¤¯à¤¾
पर
à¤à¥à¤¯à¤¾ यहॠà¤à¤ रासà¥à¤¤à¤¾ हॠà¤à¤¨ सब सॠपà¥à¤à¤¾ à¤à¥à¥à¤¾à¤¨à¥ à¤à¤¾,
यॠविà¤à¤¾à¤° à¤à¤°à¤¨à¥ लà¤à¤¾,
à¤à¤ªà¤à¥ à¤à¥à¤¯à¤¾ लà¤à¤¤à¤¾ हà¥,
à¤à¤¸ बदलतॠसमय मà¥à¤ à¤à¤¿à¤¸ तरफ हमारा दà¥à¤¶ à¤à¤° दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ठà¤à¥à¤°à¤¸à¤° हà¥,
à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠहॠरहॠरà¥à¤ª या हतà¥à¤¯à¤¾à¤à¤ हà¥,
à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠसà¥à¤ पॠबà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¤ à¤à¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ à¤à¤° ठà¤à¥à¤°à¥à¤¶à¤¨ हà¥,
à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠपà¥à¤¸à¥ à¤à¥ पà¥à¤à¥ à¤à¤¾à¤à¤¨à¥ à¤à¥ हà¥à¥ हà¥,
à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠवà¥à¤²à¥à¤¯à¥ सिसà¥à¤à¤® à¤à¤¾ समापà¥à¤¤ हà¥à¤¨à¤¾ हà¥,
à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠमाठबाप à¤à¥ सà¥à¤µà¤¾ à¤à¤°à¤¨à¥ सॠहाथ धॠलà¥à¤¨à¤¾ हà¥,
à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠà¤à¤¸ वातावरण à¤à¥ तहस नहस à¤à¤° दà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾ हमारा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° हà¥,
या
à¤à¤¾à¤¹à¥ सिरà¥à¤« ठपनॠबारॠमà¥à¤ सà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¥ à¤à¤¦à¤¤ हà¥,
à¤à¥à¤¯à¤¾ सिरà¥à¤« ठà¤à¥à¤à¥ पहलॠà¤à¥ दà¥à¤à¤¨à¤¾ हॠà¤à¤¸à¤à¤¾ à¤à¤ मातà¥à¤° à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° हà¥,
à¤à¤° ठà¤à¤° नहà¥à¤,
तॠà¤à¥à¤¯à¤¾ हम सबà¤à¥ ठपनॠठपनॠलà¥à¤µà¤² पॠà¤à¤«à¤°à¥à¤ à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¥ à¥à¤°à¥à¤°à¤¤ नहà¥à¤ हà¥,
à¤à¤¸ à¥à¤¿à¤®à¥à¤®à¥à¤¦à¤¾à¤°à¥ à¤à¥ हम सबà¤à¥ समà¤à¤¨à¥ à¤à¥ बहà¥à¤¤ à¥à¤°à¥à¤°à¤¤ हà¥,
à¤à¤¿à¤¸à¤¸à¥ à¤à¤ ठà¤à¥à¤à¥ सà¥à¤¸à¤¾à¤à¤à¥ à¤à¤¾ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ सà¤à¥,
à¤à¤¸à¤à¥ लिठहमà¥à¤ à¤à¤¾à¤à¤§à¥à¤à¥ à¤à¥ à¤à¤¨ तà¥à¤¨ बà¤à¤¦à¤°à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤à¤¨à¥à¤° à¤à¤°à¤¨à¤¾ हॠà¤à¥à¤¯à¥à¤ ना पà¥à¥,
सवाल बस à¤à¤¤à¤¨à¤¾ सा हॠदà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤,
à¤à¥à¤¯à¤¾ हम à¤à¥à¤¦ सॠà¤à¤ªà¤° à¤à¤ à¤à¤°
à¤à¤¸ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ मà¥à¤ à¤à¥ रहॠà¤à¤° लà¥à¤à¥à¤ à¤à¥à¤µ à¤à¤à¤¤à¥à¤à¤ à¤à¥ बारॠमà¥à¤ सà¥à¤ à¤à¤°
à¤à¤ सहॠसिसà¥à¤à¤® à¤à¥ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¤¾ निरà¥à¤£à¤¯ लà¥à¤¨à¥ à¤à¥ तà¥à¤¯à¤¾à¤° हॠया नहà¥à¤?
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December 11, 2019
खुद पे गुमान
ये बात सही है कि गुमान को घमंड में तब्दील होने में बहुत देर नहीं लगती.
मगर क्या ये इस देश में पैदा हो रहे और पल रहे हर बच्चे के जीवन का आधार नहीं होना चाहिए?
इसपे विचार करने की आवश्यकता है.
क्या कभी आपने सोचा है कि एक हिन्दुस्तानी आदमी जब विदेश जाता है, तो उसे उस तरह से इज़्ज़त नहीं मिलती जैसे किसी और देश जैसे कि जापान या यूरोप के वासी को मिलती है.
इतनी प्राचीन संस्कृति के बाद भी क्यों एक हिन्दुस्तानी को एक तरीके से नापा और तोला जाता है.
कुछ लोगों का मानना है कि हर इंसान को बिना किसी भेद भाव के देखा जाना चाहिए.
जैसी उसकी हरकते हो वैसे उसके साथ पेश आना चाहिए.
लेकिन एक आसान तरीका ये है कि उसको किसी ग्रुप में डाल, उसके बारे में राय कायम करी जाये, भले ही वो राय सही हो या ना हो.
लेकिन किसके पास इतना समय है, कि वो इसपे विचार करने का कष्ट करे.
परिणाम स्वरुप ये ऐसे होते हैं, वो ऐसे होते हैं, की प्रवलित राय बनने में देर नहीं लगती.
ये हमारे देश के अंदर भी बहुत होता है,
जहाँ
एक नार्थ इंडियन और साउथ इंडियन को अलग तरह से मापा जाता है.
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क्या ये एक प्रकार से सूचना और ज्ञान में अभाव नहीं है?
और ऐसा अगर है तो क्यों है?
हमारा इतिहास क्या बिना किसी भेद भाव के रचा गया है?
क्या पुरातत्व शास्त्र (archaeology) का उपयोग बिना किसी पक्षपात के किया गया है?
अगर नहीं, तो क्या ये गवर्नमेंट या हर नागरिक की ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि वो इसको बदले?
इसको एक छोटी सी बात मान लेना क्या हमारे आने वाले जेनेरशन के लिए अच्छी बात होगी?
जहाँ आपको विदेश में एक प्रकार का ट्रीटमेंट मिलेगा.
अगर नहीं तो हर किसी को एक भारतीय नैरेटिव के बारे में बात करनी होगी जो सच है और उसके आविष्कारों और उपयोगिताओं का व्याख्यान करे.
अगर हम इन बातों को अपने बच्चों तक नहीं पहुचायेंगे और हमेशा हमारे बच्चे किसी विदेशी के आविष्कारों के बारे में सिर्फ पढ़ेंगे,
तो उनमें गुमान कहाँ से पैदा होगा.
परिणाम ये होगा कि हमेशा वो खुद पे गुमान करने के बजाये खुद को कम आकेंगे
और
आने वाले दिनों में ये पूरे समाज की मानसिकता बन जाएगी.
क्या आप ऐसी मानसिकता से अपने बच्चों को नहीं बचाना चाहेंगे?
कहते है वक़्त रहते अगर काम हो जाये, तभी उसकी एहमियत होती है,
ये हम सबको खुद से पूछना है, क्या हमारे पास वक़्त बहुत ज्यादा है?
और अगर नहीं,
तो इस वक़्त में हम ऐसा क्या करके जाना चाहेंगे जो हमारे बच्चों के लिए आने वाले समय में मददगार सिद्ध होगा.
Source for the Image: https://happyrealization.com/differences-between-ego-and-self-respect/
à¤à¥à¤¦ पॠà¤à¥à¤®à¤¾à¤¨
यॠबात सहॠहॠà¤à¤¿ à¤à¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥ à¤à¤®à¤à¤¡ मà¥à¤ तबà¥à¤¦à¥à¤² हà¥à¤¨à¥ मà¥à¤ बहà¥à¤¤ दà¥à¤° नहà¥à¤ लà¤à¤¤à¥.
मà¤à¤° à¤à¥à¤¯à¤¾ यॠà¤à¤¸ दà¥à¤¶ मà¥à¤ पà¥à¤¦à¤¾ हॠरहॠà¤à¤° पल रहॠहर बà¤à¥à¤à¥ à¤à¥ à¤à¥à¤µà¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤§à¤¾à¤° नहà¥à¤ हà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤?
à¤à¤¸à¤ªà¥ विà¤à¤¾à¤° à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¥ à¤à¤µà¤¶à¥à¤¯à¤à¤¤à¤¾ हà¥.
à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤à¥ à¤à¤ªà¤¨à¥ सà¥à¤à¤¾ हॠà¤à¤¿ à¤à¤ हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¤¦à¤®à¥ à¤à¤¬ विदà¥à¤¶ à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥, तॠà¤à¤¸à¥ à¤à¤¸ तरह सॠà¤à¥à¥à¥à¤¤ नहà¥à¤ मिलतॠà¤à¥à¤¸à¥ à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¤° दà¥à¤¶ à¤à¥à¤¸à¥ à¤à¤¿ à¤à¤¾à¤ªà¤¾à¤¨ या यà¥à¤°à¥à¤ª à¤à¥ वासॠà¤à¥ मिलतॠहà¥.
à¤à¤¤à¤¨à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤à¥à¤¨ सà¤à¤¸à¥à¤à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥ बाद à¤à¥ à¤à¥à¤¯à¥à¤ à¤à¤ हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¥ à¤à¤ तरà¥à¤à¥ सॠनापा à¤à¤° तà¥à¤²à¤¾ à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥.
à¤à¥à¤ लà¥à¤à¥à¤ à¤à¤¾ मानना हॠà¤à¤¿ हर à¤à¤à¤¸à¤¾à¤¨ à¤à¥ बिना à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥à¤¦ à¤à¤¾à¤µ à¤à¥ दà¥à¤à¤¾ à¤à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤.
à¤à¥à¤¸à¥ à¤à¤¸à¤à¥ हरà¤à¤¤à¥ हॠवà¥à¤¸à¥ à¤à¤¸à¤à¥ साथ पà¥à¤¶ à¤à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤.
लà¥à¤à¤¿à¤¨ à¤à¤ à¤à¤¸à¤¾à¤¨ तरà¥à¤à¤¾ यॠहॠà¤à¤¿ à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥à¤°à¥à¤ª मà¥à¤ डाल, à¤à¤¸à¤à¥ बारॠमà¥à¤ राय à¤à¤¾à¤¯à¤® à¤à¤°à¥ à¤à¤¾à¤¯à¥, à¤à¤²à¥ हॠवॠराय सहॠहॠया ना हà¥.
लà¥à¤à¤¿à¤¨ à¤à¤¿à¤¸à¤à¥ पास à¤à¤¤à¤¨à¤¾ समय हà¥, à¤à¤¿ वॠà¤à¤¸à¤ªà¥ विà¤à¤¾à¤° à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¤·à¥à¤ à¤à¤°à¥.
परिणाम सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª यॠà¤à¤¸à¥ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¤, वॠà¤à¤¸à¥ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¤, à¤à¥ पà¥à¤°à¤µà¤²à¤¿à¤¤ राय बननॠमà¥à¤ दà¥à¤° नहà¥à¤ लà¤à¤¤à¥.
यॠहमारॠदà¥à¤¶ à¤à¥ ठà¤à¤¦à¤° à¤à¥ बहà¥à¤¤ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥,
à¤à¤¹à¤¾à¤
à¤à¤ नारà¥à¤¥ à¤à¤à¤¡à¤¿à¤¯à¤¨ à¤à¤° साà¤à¤¥ à¤à¤à¤¡à¤¿à¤¯à¤¨ à¤à¥ ठलठतरह सॠमापा à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥.
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à¤à¥à¤¯à¤¾ यॠà¤à¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤° सॠसà¥à¤à¤¨à¤¾ à¤à¤° à¤à¥à¤à¤¾à¤¨ मà¥à¤ ठà¤à¤¾à¤µ नहà¥à¤ हà¥?
à¤à¤° à¤à¤¸à¤¾ ठà¤à¤° हॠतॠà¤à¥à¤¯à¥à¤ हà¥?
हमारा à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸ à¤à¥à¤¯à¤¾ बिना à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥à¤¦ à¤à¤¾à¤µ à¤à¥ रà¤à¤¾ à¤à¤¯à¤¾ हà¥?
à¤à¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ शासà¥à¤¤à¥à¤° (archaeology) à¤à¤¾ à¤à¤ªà¤¯à¥à¤ बिना à¤à¤¿à¤¸à¥ पà¤à¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ à¤à¥ à¤à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¯à¤¾ हà¥?
ठà¤à¤° नहà¥à¤, तॠà¤à¥à¤¯à¤¾ यॠà¤à¤µà¤°à¥à¤¨à¤®à¥à¤à¤ या हर नाà¤à¤°à¤¿à¤ à¤à¥ à¥à¤¿à¤®à¥à¤®à¥à¤¦à¤¾à¤°à¥ नहà¥à¤ बनतॠà¤à¤¿ वॠà¤à¤¸à¤à¥ बदलà¥?
à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¤ à¤à¥à¤à¥ सॠबात मान लà¥à¤¨à¤¾ à¤à¥à¤¯à¤¾ हमारॠà¤à¤¨à¥ वालॠà¤à¥à¤¨à¥à¤°à¤¶à¤¨ à¤à¥ लिठठà¤à¥à¤à¥ बात हà¥à¤à¥?
à¤à¤¹à¤¾à¤ à¤à¤ªà¤à¥ विदà¥à¤¶ मà¥à¤ à¤à¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤° à¤à¤¾ à¤à¥à¤°à¥à¤à¤®à¥à¤à¤ मिलà¥à¤à¤¾.
ठà¤à¤° नहà¥à¤ तॠहर à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ à¤à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥à¤¯ नà¥à¤°à¥à¤à¤¿à¤µ à¤à¥ बारॠमà¥à¤ बात à¤à¤°à¤¨à¥ हà¥à¤à¥ à¤à¥ सठहॠà¤à¤° à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤à¤¾à¤°à¥à¤ à¤à¤° à¤à¤ªà¤¯à¥à¤à¤¿à¤¤à¤¾à¤à¤ à¤à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤à¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¤°à¥.
ठà¤à¤° हम à¤à¤¨ बातà¥à¤ à¤à¥ ठपनॠबà¤à¥à¤à¥à¤ तठनहà¥à¤ पहà¥à¤à¤¾à¤¯à¥à¤à¤à¥ à¤à¤° हमà¥à¤¶à¤¾ हमारॠबà¤à¥à¤à¥ à¤à¤¿à¤¸à¥ विदà¥à¤¶à¥ à¤à¥ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤à¤¾à¤°à¥à¤ à¤à¥ बारॠमà¥à¤ सिरà¥à¤« पà¥à¥à¤à¤à¥,
तॠà¤à¤¨à¤®à¥à¤ à¤à¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤¹à¤¾à¤ सॠपà¥à¤¦à¤¾ हà¥à¤à¤¾.
परिणाम यॠहà¥à¤à¤¾ à¤à¤¿ हमà¥à¤¶à¤¾ वॠà¤à¥à¤¦ पॠà¤à¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¥ बà¤à¤¾à¤¯à¥ à¤à¥à¤¦ à¤à¥ à¤à¤® à¤à¤à¥à¤à¤à¥
à¤à¤°
à¤à¤¨à¥ वालॠदिनà¥à¤ मà¥à¤ यॠपà¥à¤°à¥ समाठà¤à¥ मानसिà¤à¤¤à¤¾ बन à¤à¤¾à¤à¤à¥.
à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤ª à¤à¤¸à¥ मानसिà¤à¤¤à¤¾ सॠठपनॠबà¤à¥à¤à¥à¤ à¤à¥ नहà¥à¤ बà¤à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¥à¤à¤à¥?
à¤à¤¹à¤¤à¥ हॠवà¥à¥à¤¤ रहतॠठà¤à¤° à¤à¤¾à¤® हॠà¤à¤¾à¤¯à¥, तà¤à¥ à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¤¹à¤®à¤¿à¤¯à¤¤ हà¥à¤¤à¥ हà¥,
यॠहम सबà¤à¥ à¤à¥à¤¦ सॠपà¥à¤à¤¨à¤¾ हà¥, à¤à¥à¤¯à¤¾ हमारॠपास वà¥à¥à¤¤ बहà¥à¤¤ à¤à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हà¥?
à¤à¤° ठà¤à¤° नहà¥à¤,
तॠà¤à¤¸ वà¥à¥à¤¤ मà¥à¤ हम à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤°à¤à¥ à¤à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¥à¤à¤à¥ à¤à¥ हमारॠबà¤à¥à¤à¥à¤ à¤à¥ लिठà¤à¤¨à¥ वालॠसमय मà¥à¤ मददà¤à¤¾à¤° सिदà¥à¤§ हà¥à¤à¤¾.
Source for the Image: https://happyrealization.com/differences-between-ego-and-self-respect/
December 5, 2019
Audio Version रà¥à¤¬à¤°à¥ à¤à¤ à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸
November 17, 2019
#Housefull4
November 7, 2019
पहलॠपहलॠबार
à¤à¤¹à¤¤à¥ हà¥à¤ पहला à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸, पहलॠनà¥à¤°, सब à¤à¥à¤ पहला पहला बहà¥à¤¤ हॠठà¤à¥à¤à¤¾ लà¤à¤¤à¤¾ हà¥. शायरà¥à¤ नॠतॠà¤à¤¸à¤ªà¥ पà¥à¤°à¥ à¤à¤¿à¤¤à¤¾à¤¬à¥à¤ लिठडालॠहà¥à¤.
सठमान, मà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¥ पहलॠबार à¤à¤¸à¤à¤¾ सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¥ à¤à¤¾à¤¹à¤¤ लिठà¤à¤ सà¥à¤à¥à¤à¥ à¤à¥ दà¥à¤à¤¾à¤¨ पॠपहà¥à¤à¤ हॠà¤à¤¯à¤¾. सन २०००, शहर लà¤à¤¨à¤, दिन à¤à¥ १२ बà¤à¥, à¤à¥à¤à¤¿à¤à¤ à¤à¥à¤²à¤¾à¤¸ सॠबहार à¤à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¤¿à¤¸à¥à¤¸à¤¾.
पहलॠबार à¤à¥à¤ à¤à¥ हमà¥à¤¶à¤¾ à¤à¤¿à¤¸à¥ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥ à¤à¥ साथ हॠहà¥à¤¤à¤¾ हà¥. हम à¤à¤¸à¥ ठमà¥à¤°à¤¿à¤à¤¨ à¤à¥à¤¹à¥ सॠसमà¥à¤à¥à¤¦à¤¿à¤¤ à¤à¤°à¤¤à¥ थà¥, à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ नहà¥à¤ à¤à¤¿ वॠहमà¥à¤¶à¤¾ ठमà¥à¤°à¤¿à¤à¤¾ à¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¥ बात à¤à¤°à¤¤à¤¾ था, पर à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ à¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ à¤à¤¸à¤¨à¥ ठपनॠà¤à¥ पà¥à¤°à¥à¤£ तरह सॠठमà¥à¤°à¤¿à¤à¤¨ बना लिया था, à¤à¤¾à¤¹à¥ वॠà¤à¤¸à¤à¤¾ बà¥à¤²à¤¨à¥ à¤à¤¾ तरà¥à¤à¤¾ हॠया फिर à¤à¤¸à¤à¤¾ रहन सहन.
वà¥à¤¸à¥ सà¥à¤à¤¾ à¤à¤¾à¤¯à¥ तॠठà¥à¤ à¤à¥ था, à¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ पहलॠसॠतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥ à¤à¤°à¤à¥ à¤à¤¾à¤¨à¥ पॠहमà¥à¤¶à¤¾ à¤à¤ªà¤à¥ à¤à¤¿à¤ सà¥à¤à¤¾à¤°à¥à¤ तॠमिलता हॠहà¥.
à¤à¤¸à¥ à¤à¤¿à¤ सà¥à¤à¤¾à¤°à¥à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤ नॠशायद हम दà¥à¤¨à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¸ सà¥à¤à¥à¤à¥ à¤à¥ दà¥à¤à¤¾à¤¨ पॠà¤à¤¾à¤¨à¥ पर मà¤à¤¬à¥à¤° à¤à¤° दिया था.
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थà¥à¥à¤¾ मन मà¥à¤ डर था, à¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ माठनॠहमà¥à¤¶à¤¾ à¤à¤¸à¤¸à¥ दà¥à¤° रहनॠà¤à¥ हिदायत दॠथà¥, लà¥à¤à¤¿à¤¨ à¤à¥à¤ नया à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¤¾ ठà¤à¥à¤¬ सा à¤à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹ à¤à¥ था.
ठब à¤à¤¸à¥ à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¤¶ à¤à¤¹à¥à¤ या फिर नादानà¥, à¤à¤ हम दà¥à¤¨à¥à¤ हॠढà¥à¥ निशà¥à¤à¤¯ à¤à¤°à¤à¥ à¤à¤¯à¥ थॠà¤à¤¿ à¤à¤ à¤à¥à¤ तà¥à¤«à¤¾à¤¨à¥ à¤à¤°à¤à¥ हॠमानà¥à¤à¤à¥.
“à¤à¤à¤¯à¤¾, à¤à¤ à¤à¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¿à¤ माà¤à¤²à¥à¤¡”, बà¥à¤² हमà¥à¤ à¤à¤¸à¤¾ लà¤à¤¾ मानॠà¤à¥à¤à¤ªà¥à¤ मिल à¤à¤¯à¤¾ हà¥. à¤à¤¤à¤¨à¥ à¥à¥à¤¶à¥ शायद हमà¥à¤ मà¥à¤¥ मà¥à¤ पà¥à¤°à¥ नà¤à¤¬à¤° मिलनॠपॠà¤à¥ नहà¥à¤ मिलतॠथà¥.
तà¥à¤¨ बार à¤à¥à¤¶à¤¿à¤¶ à¤à¤°à¤¨à¥ पॠमाà¤à¤¿à¤¸ सॠहम à¤à¤¸ सà¥à¤à¥à¤à¥ à¤à¥ à¤à¤²à¤¾ पाà¤. à¤à¤à¤¿à¤° पहलॠबार था, à¤à¤¤à¤¨à¤¾ à¤à¤«à¤°à¥à¤ तॠमारना बनता था.
“ठबॠसà¥à¤¨à¤¾ हà¥, पà¥à¤°à¤¾ ठà¤à¤¦à¤° लà¥à¤¨à¤¾ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥. à¤à¤° à¤à¤à¤ बà¤à¤¦ à¤à¤°à¤à¥ मारॠतॠमà¥à¤¾ दà¥à¤à¤¨à¤¾ हॠà¤à¤¾à¤¤à¤¾ ह॔, ठमà¥à¤°à¤¿à¤à¤¨ à¤à¥à¤¹à¤¾ पà¥à¤°à¥ रिसरà¥à¤ à¤à¤°à¤à¥ à¤à¤¯à¤¾ था.
à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¥à¤°à¥ मान मà¥à¤à¤¨à¥ पà¥à¤°à¥à¤£ तरह सॠवहॠà¤à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥à¤¸à¤¾ à¤à¤¸à¤¨à¥ à¤à¤¹à¤¾, मानॠवॠधà¥à¤à¤ मà¥à¤à¥ à¤à¤ नयॠदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ मà¥à¤ लॠà¤à¤¯à¤¾, वॠà¤à¥ à¤à¤¾à¤¸à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤¸à¤¤à¥.
थà¥à¥à¤¾ ठà¤à¥à¤à¤¾ लà¤à¤¾, थà¥à¥à¤¾ बà¥à¤°à¤¾, लà¥à¤à¤¿à¤¨ à¤à¥à¤¹à¥ à¤à¥ सामनॠà¤à¥à¤¸à¥ मà¥à¤ मà¥à¤à¤° सà¤à¤¤à¤¾ था, “à¥à¤¦à¤° हॠयार यॠत॔.
à¤à¥à¤¹à¥ नॠà¤à¥ हाठमà¥à¤ हाठà¤à¤° दà¥, मानॠ१०० साल सॠसà¥à¤à¥à¤à¤¾ मार रहा हà¥, “à¤à¤¹à¤¾à¤ था ना मà¥à¤à¤¨à¥”.
à¤à¤¶-à¤à¤¶ à¤à¤° पà¥à¤°à¤¾ à¥à¤¤à¤® à¤à¤°à¤¨à¥ पर मà¥à¤°à¥ à¤à¥à¤¹à¤°à¥ पॠà¤à¤¿à¤à¤¤à¤¾ à¤à¥ à¤à¤¾à¤µ दà¥à¤ वॠबà¥à¤²à¤¾, “à¤à¤¾à¤, माà¤à¤¥ फà¥à¤°à¥à¤¶à¤¨à¤° लाया हà¥à¤, à¤à¤¾à¤¹à¥ परà¥à¤¶à¤¾à¤¨ हॠरहॠहà¥.” यह सà¥à¤¨, फिर हरà¥à¤·à¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ à¤à¤¾ समाठबन à¤à¤¯à¤¾.
सफर तॠशà¥à¤°à¥ हॠà¤à¥à¤à¤¾ था, बस सफर à¤à¤°à¤¨à¤¾ ठà¤à¥ बाà¤à¥ था.
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पहली पहली बार
कहते हैं पहला एहसास, पहली नज़र, सब कुछ पहला पहला बहुत ही अच्छा लगता है. शायरों ने तो इसपे पूरी किताबें लिख डाली हैं.
सच मान, मैंने भी पहली बार इसका स्पर्श करने की चाहत लिए एक सुट्टे की दुकान पे पहुंच ही गया. सन २०००, शहर लखनऊ, दिन के १२ बजे, कोचिंग क्लास से बहार आने का किस्सा.
पहली बार कुछ भी हमेशा किसी प्रिये के साथ ही होता है. हम उसे अमेरिकन चूहे से सम्भोदित करते थे, इसलिए नहीं कि वो हमेशा अमेरिका जाने की बात करता था, पर इसलिए क्योंकि उसने अपने को पूर्ण तरह से अमेरिकन बना लिया था, चाहे वो उसका बोलने का तरीका हो या फिर उसका रहन सहन.
वैसे सोचा जाये तो ठीक भी था, क्योंकि पहले से तैयारी करके जाने पे हमेशा आपको किक स्टार्ट तो मिलता ही है.
इसी किक स्टार्ट की खोज ने शायद हम दोनों को उस सुट्टे की दुकान पे जाने पर मजबूर कर दिया था.
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थोड़ा मन में डर था, क्योंकि माँ ने हमेशा इससे दूर रहने की हिदायत दी थी, लेकिन कुछ नया करने का अजीब सा उत्साह भी था.
अब इसे जवानी का जोश कहें या फिर नादानी, आज हम दोनों ही ढृढ़ निश्चय करके आये थे कि आज कुछ तूफानी करके ही मानेंगे.
“भइया, एक क्लासिक माइल्ड”, बोल हमें ऐसा लगा मानो जैकपोट मिल गया हो. इतनी ख़ुशी शायद हमें मैथ में पूरे नंबर मिलने पे भी नहीं मिलती थी.
तीन बार कोशिश करने पे माचिस से हम उस सुट्टे को जला पाए. आखिर पहली बार था, इतना एफर्ट तो मारना बनता था.
“अबे सुना है, पूरा अंदर लेना होता है. और आँख बंद करके मारो तो मज़ा दुगना हो जाता है”, अमेरिकन चूहा पूरी रिसर्च करके आया था.
उसको गुरु मान मैंने पूर्ण तरह से वही किया जैसा उसने कहा, मानो वो धुंआ मुझे एक नयी दुनिया में ले गया, वो भी खासते खासते.
थोड़ा अच्छा लगा, थोड़ा बुरा, लेकिन चूहे के सामने कैसे मैं मुकर सकता था, “ग़दर है यार ये तो”.
चूहे ने भी हाँ में हाँ भर दी, मानो १०० साल से सुट्टा मार रहा हो, “कहाँ था ना मैंने”.
कश-कश कर पूरा ख़तम करने पर मेरे चेहरे पे चिंता के भाव देख वो बोला, “भाई, माउथ फ्रेशनर लाया हूँ, काहे परेशान हो रहे हो.” यह सुन, फिर हर्षोल्लास का समां बन गया.
सफर तो शुरू हो चुका था, बस सफर करना अभी बाकी था.
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November 6, 2019
डर à¤à¤° धà¥à¤à¤
हर रà¥à¥ à¤à¥ तरह à¤à¤ à¤à¥ मà¥à¤à¤¨à¥ दिवà¥à¤¯ वाहन Uber मà¥à¤ à¤à¤«à¤¿à¤¸ à¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤£ लà¥à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤ª पॠà¤à¤¾à¥à¥ बà¥à¤ à¤à¤° हॠलà¥.
ना à¤à¤¾à¤¨à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤¿ यॠसफर à¤à¤ मà¥à¤à¥ ठपनॠबारॠमà¥à¤ à¤à¤ नठपहलॠसॠठवà¤à¤¤ à¤à¤°à¤¾à¤à¤à¤¾.
थà¥à¥à¥ दà¥à¤° बाद à¤à¤ à¤à¤¨à¥ दाà¥à¥ वालॠà¤à¤¾à¤ साहब सà¥à¤µà¤¿à¤«à¥à¤ डिà¥à¤¾à¤¯à¤° मà¥à¤ पà¥à¤°à¤à¤ हà¥à¤, मानॠà¤à¤¨à¤µà¤¾à¤¯à¤°à¤¨à¤®à¥à¤à¤ à¤à¥à¤à¤ à¤à¥ रà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¤¾ सारा à¥à¤¿à¤®à¥à¤®à¤¾ ठपनॠà¤à¥à¤¹à¤°à¥ पॠà¤à¤à¤à¤² रà¥à¤ªà¥ दाà¥à¥ à¤à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥ नॠलिया हà¥.
मà¥à¤¸à¥à¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¥à¤¡ मà¥à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤à¤ हà¥à¤ à¤à¤° राà¤à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤à¤ª à¤à¤° à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤à¤¨à¥ à¤à¥à¤°à¤¿à¤ª à¤à¤¾à¤²à¥ à¤à¤° दà¥. मà¥à¤ रà¥à¥ à¤à¥ तरह दà¥à¤¨ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥ à¤à¥à¤² नà¥à¤¯à¥à¤¸à¤ªà¥à¤ªà¤° पà¥à¤¨à¥ मà¥à¤ à¤à¥à¤ à¤à¤¯à¤¾, मानॠसिविल सरà¥à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤ à¤à¤¾ à¤à¤à¥à¤à¤¾à¤® à¤à¤ à¤à¥à¤²à¤¿à¤¯à¤° à¤à¤° à¤à¥ हॠमानà¥à¤à¤à¤¾.
à¤à¥à¤ à¤à¥à¤·à¤£ à¤à¤² डà¥à¤°à¤¾à¤à¤µà¤° साहब नॠपà¥à¤à¥ दà¥à¤à¤¾ à¤à¤° बà¥à¤²à¥:                                          “सर थà¥à¥à¤¾ सा लà¤à¥ हà¥, à¤à¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤ à¤à¤¾à¥à¥ रà¥à¤ à¤à¤° हलà¥à¤à¤¾ हॠलà¥à¤“.
मà¥à¤à¤¨à¥ बिना à¤à¥à¤ सà¥à¤à¥ à¤à¤¨à¤à¥ हालात à¤à¥ समà¤à¤¤à¥ हà¥à¤ रà¥à¤¾à¤®à¤à¤¦à¥ दॠदà¥.
à¤à¥à¤¸à¥ हॠवॠनà¥à¤à¥ à¤à¤¤à¤°à¥ मà¥à¤°à¤¾ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ सà¥à¤ पॠà¤à¥à¥ हमारॠà¤à¤¾à¥à¥ पॠà¤à¤¯à¤¾ à¤à¤¹à¤¾à¤ दà¥à¤° दà¥à¤° तठà¤à¤¿à¤¸à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¤ à¤à¥ नामà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¤¾à¤¨ ना था.
दिल मà¥à¤ ठà¤à¤¾à¤¨à¤ बà¥à¤°à¥ à¤à¥à¤¯à¤¾à¤²à¥à¤ नॠदसà¥à¤¤à¤ दà¥, à¤à¤° à¤à¤¶à¥à¤®à¥à¤° मà¥à¤ à¤à¤¾à¥à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ हॠरहॠधमाà¤à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤µà¤¿ à¤à¤à¤à¥à¤ à¤à¥ समà¤à¥à¤· पà¥à¤°à¤à¤ हॠà¤à¤¯à¥. यॠशायद à¤à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नà¥à¤¯à¥à¤¸à¤ªà¥à¤ªà¤° पà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾ ठसर था.
पà¥à¤à¥ मà¥à¥ à¤à¥ दà¥à¤à¤¾ तॠदाà¥à¥ वालॠडà¥à¤°à¤¾à¤à¤µà¤° साहब मानॠदॠà¤à¥à¤¸ दà¥à¤° à¤à¤¾ à¤à¥à¤à¥ थà¥.
à¤à¤¾à¤à¤à¤à¤¡à¤¾à¤à¤¨ शà¥à¤°à¥ हॠà¤à¥à¤à¤¾ था. à¤à¤²à¥à¤¦à¥ सॠनà¥à¤¯à¥à¤¸à¤ªà¥à¤ªà¤° à¤à¥ बà¤à¤² मà¥à¤ रठà¤à¤¾à¥à¥ सॠफरार हà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾ मà¥à¤à¤¨à¥ निरà¥à¤£à¤¯ लॠलिया.
à¤à¥à¤¸à¥ हॠमà¥à¤à¤¨à¥ ठपनॠदरवाà¥à¤¾ à¤à¥ à¤à¥à¤²à¤¾ à¤à¤° à¤à¤¤à¤°à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¤¾, तà¤à¥ à¤à¤ à¤à¤µà¤¾à¥ सॠमà¥à¤°à¥ रà¥à¤¹ à¤à¤¾à¤à¤ª à¤à¤ à¥:          “सà¥à¤°à¥ सर, रà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¥ लिà¤. à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤°à¥à¤ à¤à¤à¥ à¤à¥à¤ à¤à¤à¤¹ नहà¥à¤ मिलत॓.
यह बà¥à¤² डà¥à¤°à¤¾à¤à¤µà¤° साहब à¤à¤¾à¥à¥ मà¥à¤ बà¥à¤ ॠà¤à¤° à¤à¥à¤¦ à¤à¥ पायलठà¤à¤° à¤à¤¾à¥à¥ à¤à¥ हवाठà¤à¤¹à¤¾à¥ बना à¤à¤° वहाठसॠà¤à¥ à¤à¤²à¥.
à¤à¤«à¤¿à¤¸ पहà¥à¤à¤ मà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤ थà¥à¤à¤ यॠबà¥à¤²à¤¾ à¤à¤° à¤à¤¾à¥à¥ सॠनà¥à¤à¥ à¤à¤¤à¤° à¤à¤¯à¤¾.
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दिल ठà¤à¥ à¤à¥ à¤à¥à¤ à¤à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हॠधà¥à¤ रहा था. मन बà¥à¤²à¤¾ ठब तॠà¥à¤¿à¤à¥à¤° à¤à¥ धà¥à¤à¤ मà¥à¤ à¤à¥à¤¾à¤¨à¤¾ बनता हà¥.
à¤à¤ सिà¤à¤°à¥à¤ शà¥à¤ª पॠपहà¥à¤à¤ à¤à¥à¤¸à¥ हॠसà¥à¤à¥à¤à¤¾ माà¤à¤à¤¨à¥ वाला था, तà¤à¥ à¤à¤¸ à¤à¤¶à¥à¤®à¤à¤¶ à¤à¥ परदॠà¤à¥ समठà¤à¥à¤ नॠफाà¥à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤ सवाल पà¥à¤ लिया:                                                          “#Sutta4G à¤à¥ à¤à¤°à¤¤à¥ रहतॠहà¥, à¤à¤¸à¤à¤¾ à¤à¥à¤¯à¤¾?”
तब à¤à¤¾à¤¨à¤¾, à¤à¤à¥ à¤à¤à¥ à¤à¤ªà¤à¥ समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥ à¤à¤ªà¤à¥ शरà¥à¤® सॠपानॠपानॠहà¥à¤¨à¥ पॠमà¤à¤¬à¥à¤° à¤à¤° दà¥à¤¤à¥ हà¥.
“à¤à¤¾à¤ साहब, बाद मà¥à¤ à¤à¤¤à¤¾ हà¥à¤“, बà¥à¤² मà¥à¤ à¤à¤«à¤¿à¤¸ à¤à¥ à¤à¤° बॠà¤à¤¯à¤¾.
à¤à¤²à¤¤à¥ à¤à¤²à¤¤à¥ समठनॠहसà¥à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤° मरहम लà¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤ बà¥à¤²à¤¾:                                     “à¤à¤¸ सà¥à¤à¥à¤à¥ à¤à¥ पà¥à¤¸à¥ सॠà¤à¤ à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¤°à¥à¤¬ à¤à¥ à¤à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤¿à¤²à¤¾ दà¥à¤¨à¤¾“.
यॠसà¥à¤¨ मà¥à¤°à¤¾ मन फिर à¤à¤ निशà¥à¤à¤¯ रà¥à¤ªà¥ हरà¥à¤· सॠà¤à¤° à¤à¤ ा à¤à¤° बà¥à¤²à¤¾:                               “Break the Habit. Do Good. #Sutta4G”
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