सुरेन्द्र मोहन पाठक's Blog, page 2

December 7, 2013

Feedback on 'Bahurupiya'

बहुरुपिया



पाठकों की राय में



आपका
बहुप्रतीक्षित नावल ‘बहुरुपिया’ एक ही बैठक में पढ़ा । जो थोड़ी बहुत शिकायत ‘प्यादा’ और चोरों की
बारात से हुई थीं, ‘बहुरुपिया ने काफी हद तक उनको दूर कर दिया । सुधीर काफी हद तक
पुरानी फ़ार्म में वापस आ गया । उपन्यास के बेहतरीन होने के बावजूद भी कुछ ऐसे
बिन्दुओं की तरफ आपका ध्यान दिलाना चाहूंगा जिनकी तार्किक व्याख्या उपन्यास को और
कामयाबियों की तरफ पहुंचा सकती थी:



1.   
यादव
इस बार सुधीर का साया बना रहा । दोनों के जोरदार टकराव से पाठक वंचित रहे ।



2.   ...

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Published on December 07, 2013 16:16

November 15, 2013

E-Books on Newshunt

कोई
वक्त था कि भारत में जासूसी उपन्यास आठ आना कीमत में छपता था । तब प्रकाशक उसे
बहुत ही घटिया कागज पर प्रकाशित करता था और 112 पृष्ठ से ज्यादा छापना अफोर्ड नहीं
कर सकता था । फिर ज्यों-ज्यों उपन्यास की कीमत बढती गयी, कागज और छपाई में भी
सुधार होता गया और एक समय पृष्ठ संख्या 400 तक आम पहुंची । मौजूदा दौर में उपन्यास
की कीमत सौ रूपये तक पहुंची हुई है, पृष्ठ 320 और 350 के बीच सीमित हो गए हैं और
प्रोडक्शन में प्रकाशक की डंडीमार प्रवृति फिर उजागर होने लगी है ।



उपरोक्त
सब समस्याएं तो ई-बुक में हैं ही नहीं और...

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Published on November 15, 2013 11:38

June 2, 2013

E - Books

लेखन के व्यवसाय में
- अगर आप इसे व्यवसाय मानें - सबसे दुरूह कार्य पुस्तक को लिखना नहीं, पुस्तक को
छपवाना है । भारत में पुस्तक प्रकाशन कोई संगठित व्यवसाय नहीं जैसे कि विदेशों में
है जहां कि लेखक और प्रकाशक के बीच एजेंट नाम की एक कड़ी होती है जिसकी फीस भरना लेखक
कबूल करता है तो शुरूआती दौर में लेखक को प्रकाशक के मत्थे नहीं लगना पड़ता ।
प्रकाशक के पास स्क्रिप्ट की गुणवत्ता जांचने वाले अपने एक्सपर्ट होते हैं या जैसे
विषय की वो पुस्तक हो, वैसे लेखक को - जैसा उपन्यास हो तो किसी ख्याति प्राप्त लेखक
को - प्रक...

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Published on June 02, 2013 00:23

March 2, 2013

Secret Agent

मुझे ये लिखते हुए अपार हर्ष हो रहा
है कि मेरा पिछला उपन्यास ‘सीक्रेट एजेंट’ सभी पाठकों को बहुत अच्छा लगा और सबने
एक मत होकर मुक्त कंठ से इसकी प्रशंसा की । उपन्यास में पहली बार पाठकों को मैंने उपन्यास के बारे में राय
जताने के लिए अपना ई-मेल भी दिया था, मेरे इस कदम का पाठकों ने स्वागत किया है ।
सीक्रेट एजेंट के बारे में कुछ पाठकों की राय इस तरह से है:  

कोरबा,
छत्तीसगढ़ के गुरदीप ओहरी को ‘सीक्रेट एजेंट’ बहुत अच्छा लगा । उन्हें नीलेश गोखले
और श्यामला उपन्यास में बहुत भाए और  उन्होंने नीलेश का...

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Published on March 02, 2013 23:42

January 23, 2013

A Meet to Remember

Sunday the 23rd December 2012 was a very special day for me. A get together was organized by my readers, the venue being Press Club of India of which I to happen to be a member since 1971. I was given to understand that there’d be a gathering of 35-40 people and some of them will specially be coming for the occasion from Dehradun, Muzaffarnagar, Khamgaon, Meerut, Nagore, and even from Mumbai. One Mr. Sudhir Barak came from Rohtak where he only happened to be to attend a marriage but who...
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Published on January 23, 2013 22:09

New Website

I am immensely pleased that a website featuring me and most of my published books has been designed by my reader and ardent admirer turned dear friend Mr Sudhir Barak - presently stationed at Melbourne, Australia - has been posted . It is very infromative and very well handled, and I am sure my readers at large will enjoy going through it. If it meets with the approval of the readers, I plan to update it regularly and will post about my forthcoming novel and also readers' opini...
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Published on January 23, 2013 22:08

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सुरेन्द्र मोहन पाठक
सुरेन्द्र मोहन पाठक isn't a Goodreads Author (yet), but they do have a blog, so here are some recent posts imported from their feed.
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