Avishek Sahu's Blog: Views From The Left, page 3
November 16, 2021
कमबख्त हुए
जनाब खुंदस नापा करो बिल से कागज़ पे पेला जाता है जात को, जात नकारा हरामज़ात नकारा मधुमखी बज़्ज़ से जहां केला जाता है रात को, रात सी हसीन हम भी ठहरें हुनर पहचाने नहीं ज़ोर है पहचाना हरामखोर हैं, इतना देते रहे तो कमबख्त हुए इश्क़ हुआ ज़बरदस्त हुए विश्क हुआ इन्द्रप्रस्त हुए।
व्यापार खेल सा सूझने लगा
जनाब पूजा में हम हमेशा इतना फसे पड़े थे व्यापार खेल सा सूझने लगा, सूझा जब इतिहासी खिलाड़ी कसे खड़े थे तड़ीपार फेल सा बूझने लगा, मन्नत मांगा जो भी मांगा एक बेटे का मांगा तो दूजा मारना पाप कैसे हुआ, अब ढूंढो ज़रा सब लगा के जन्नत नेक पेठे का टांगा तो खरबूजा उतारना झाप कैसे हुआ।
October 23, 2018
Checkmate!
August 27, 2018
मतलब, हैवानियत।
मतलब कभी ढूंडा था मैंने यूहीं कांटों के रसतों पे चलते चलते,
नाक में दम कर रखा था ये दिल जखमों पे नमक मलते मलते,
बोला यूहीं नहीं मिल गया तुझे सुकून उन नटखट रातों की बातों में,
और यूहीं नहीं बच गया था तू उन बातों से भरी मुलाकातों में।
अब इतना ना बौखलाते जा तू भीख के सरहदों पे रेंगते हुए,
इतना भी होता अककड तो घरवालों को … Read the rest
मतलब हैवानियत का।
मतलब कभी ढूंडा था मैंने यूहीं कांटों के रसतों पे चलते चलते,
नाक में दम कर रखा था दिल जखमों पे नमक मलते मलते,
बोला यूहीं नहीं मिल गया तुझे सुकून उन नेटठखट रातों की बातों में,
और यूहीं नहीं बच गया था तू उन बातों से भरी मुलाकातों में।
अब इतना ना बौखलाते जा तू भीख के सरहदों पे रेंगते हुए,
इतना भी होता अककड तो घरवालों को ना … Read the rest
August 26, 2018
किस्सा चमार का।
भडवे से ना पूछो पैसे कैसे लौटाई जाते हैं, चमार से ना पूछो अचछे वाले ससते जूते कहां से आते हैं,
आते हैं तो आते हैं किसमत वालों को आते हैं, इसमें ना सर खपाओ जब करम के पुजारी सताते हैं,
कयूंकि भडवा पैसा लौटा दिया तो जब वाट उसकी लगती है, तो ससते जूते वालों को पता चलता बीवी कयूं उनपे हगती है,
इसी लिए दोसतों भडवे से दोसती … Read the rest
August 22, 2018
आओ कतले आम करें।
इतनी भी कया बात बडी है मंदिर को तुडवाना,
मंदिर तो टूटती अाई है, मुशकिल है भूलवाना,
अब राम ही है कोई रहीम तो नहीं जो घर की मांग करें
घर ही तो है अब घर ही रखलो आओ कतले आम करें
घर भी तो है वो उसीका जो कतले आम करे
अरे करे तो करे कया आम है उसमे जो उसे बदनाम करें
बदनामी की हो तुमको जरुरत तो … Read the rest
ब्लेड है तकदीर नहीं।
बलेड है तकदीर नहीं जो हाथ से फिसल जाए,
पकडो उस गुणवान धनी को जो तकदीर मसल आए,
अरे तकदीर बनी थी पिसतौल की छबि, फट से अंदर तक हो आए,
अब इसमें कया संकोच है इतनी, के गुणवान अंदर ना हो आए,
अब अंदर की बात बस अंदर की नहीं है, ये तो बात है अंदरूनी की,
जो यूहीं बस झट से नाच उठे, जब जान हो बन आने … Read the rest
इस मिट्टी के संग।
सुना है कुछ लोग मजाक नहीं सेह सकते,
एक छोटे से बचचे को सुला नहीं सकते,
बरसते हैं वो सब बस दिखाने के लिए,
के बाकी तो बने हैं सिरफ हडकाने के लिए,
तभी तो जाओगे इस मिटटी के संग,
जहां कोई ना जाए फेंकने दो रंग,
अब रंग ही तो हम बस फेंक आए हैं,
वरना कयूं उस मुशकिल में फस आए हैं,
वैसी होगी अगर कहीं पे किसी … Read the rest
उन दिनों की बात?
पिसतौल है कोई फरश नहीं है पैरों के नीचे आती नहीं,
आती भी अगर पैरों के नीचे झाडू से पुछवाती नहीं,
झाडू आखिर तो है किसिका दिल का नजराना,
इतना ना इतराओ के जाके भरना हो जुरमाना,
पाप आखिर किए हो तुम तो धरती को बचाके,
इसकी तो धाजिया उड गई थी गंध मचाके,
अब ऐसी भी कया खुंदस है तुमहारी के पिसतौल ठिकाने लगा रहे हो,
अरे एक बार … Read the rest
Views From The Left
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