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“निंदक के विषय में चाणक्य कहते हैं कि यद्यपि पक्षियों में कौआ, पशुओं में कुत्ता तथा साधुओं में पाप में निर्लिप्त व्यक्ति सबसे अधिक दुष्ट और अधर्मी होता है लेकिन निंदक इनसे भी अधिक पापी और चांडाल प्रवृत्ति का होता है। यद्यपि निंदा करने से कुछ प्राप्त नहीं होता, किंतु निंदक सदैव निंदा-रस का पान करता है। निंदा करने के कारण उसके पापों में निरंतर वृद्धि होती”
― Chanakya Neeti
― Chanakya Neeti
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