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Chanakya
“सर्प और दुर्जन व्यक्ति के बीच में तुलना करते हुए चाणक्य कहते हैं कि सर्प केवल काल के बलवान् होने पर ही काटता है। इसके विपरीत दुर्जन व्यक्ति कदम-कदम पर विश्वासघात करता है, व्यर्थ पीड़ा पहुँचाता है। इसलिए यदि दोनों में से किसी एक को चुनने का अवसर आ जाए तो बिना संकोच किए सर्प को चुन लेना चाहिए।”
Chanakya, Chanakya Neeti

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