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“चाणक्य के मतानुसार, दुष्ट और दुर्जन व्यक्तियों को धन की महत्त्वाकांक्षा होती है। उसे प्राप्त करने के लिए वे नीच कार्य करने से भी पीछे नहीं हटते। धन-प्राप्ति ही उनका एकमात्र ध्येय होता है। यद्यपि मध्यम वर्ग के व्यक्ति भी धन को महत्त्व देते हैं, तथापि उनके लिए मान-सम्मान भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। इसी कारण धन की लालसा होते हुए भी वे नीच कार्य करने से डरते हैं। इसके विपरीत, सज्जन व्यक्तियों के लिए मान-सम्मान सबसे बढ़कर होता है। इसके लिए वे बड़ी-से-बड़ी बहुमूल्य वस्तु भी अस्वीकार कर देते हैं।”
― Chanakya Neeti
― Chanakya Neeti
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