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“जीवन का अर्थ दरअसल इस समय जीवन के लिए हमारे रवैये में एक बुनियादी बदलाव की ज़रूरत थी। हमें स्वयं ही सीखना था। इसके अतिरिक्त उन मायूस व निराश बंदियों को भी सिखाना था कि इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि हम जीवन से क्या अपेक्षा रखते हैं बल्कि देखना तो यह चाहिए कि जीवन हमसे क्या अपेक्षा रखता है। हमें जीवन से उसके अर्थ के बारे में पूछना बंद कर देना चाहिए और स्वयं को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखना चाहिए, जिससे जीवन प्रतिदिन-प्रतिघंटे नए-नए सवाल पूछा करता है। हमारे”
― Jeevan Ke Arth Ki Talaash Me Manushya
― Jeevan Ke Arth Ki Talaash Me Manushya
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