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Mushtaq Ahmad Yousufi
“मर्द की आंख और औरत की जबान का दम सबसे आखिर में निकलता है।
लफ्जों की जंग में फतह किसी भी फरीक की हो, शहीद हमेशा सच्चाई होती है।
जो देश जितना गरीब होगा, उतना ही आलू और मजहब का चलन ज्यादा होगा।
दुश्मनों के तीन दर्जे हैः दुश्मन, जानी दुश्मन और रिश्तेदार।
मुसलमान किसी ऐसे जानवर को मुहब्बत से नहीं पालते जिसे जिबह करके खा न सकें।
मुहब्बत अंधी होती है, लिहाजा औरत के लिए खूबसूरत होना जरूरी नहीं, बस मर्द का नाबीना (अंधा) होना काफी होता है।
बुढ़ापे की शादी और बैंक की चौकीदारी में जरा भी फर्क नहीं, सोते में भी एक आंख खुली रखनी पड़ती है।
आदमी एक बार प्रोफेसर हो जाए तो उम्र भर प्रोफेसर ही रहता है, चाहे बाद में समझदारी की बातें ही क्यों ना करने लगे।
नाई की जरूरत सारी दुनिया को रहेगी जब तक कि सारी दुनिया सिक्ख धर्म ना अपना ले और सिक्ख ऐसा कभी होने नहीं देंगे।”
Mushtaq Ahmad Yousufi

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