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“मैं काका की सलाह मानकर फजीहत में पड़ गया । एक दिन वे कहने लगे, "आयुष्मान, कोई लेबिल अपने ऊपर चिपका लो, वरना किसी दिन जेल चले जाओगे । तुम्हें बेकार घूमते देखकर किसी दिन कोई पुलिसवाला पूछेगा—क्या नाम है तेरा ? बाप का नाम क्या है? कहाँ नौकरी करता है? तुम अपना और बाप का नाम तो बता दोगे, पर तीसरे सवाल के जवाब में कहोगे—नौकरी कहीं नहीं करता । यह सुनकर पुलिसवाला कहेगा-नौकरी नहीं करता? तब कोई चोर-उचक्का है तू । वह तुम्हें पकड़कर ले जाएगा । इस देश में जो किसी की नौकरी नहीं करता, वह चोरसमझा जाता है । गुलामी के सिवा शराफत की कोई पहचान हम जानते ही नहीं हैं ।”
― निठल्ले की डायरी
― निठल्ले की डायरी
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