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Divya Prakash Dubey
“शरीर जुड़कर भी कई बार दो लोग बिलकुल पास नहीं आ पाते ,कुछ खाली छूट जाता है । जो खाली छूट जाता है वो फासला तब तय होता है जब दो लोग आँसू से जुड़ते हैं । जब वो उस पल के लिए रोते हैं जो वहीं सामने , उनके आँसू के साथ आँखों से चलकर गालों से होता हुआ एक-दूसरे के होठों तक फिसल रहा होता है । तब पहली बार एहसास होता है कि हमारे बिना कुछ किए भी कोई फ़ासला मिट रहा है कोई खाली जगह भर रही है ।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

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