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Munshi Premchand
“का उपला जब जलकर ख़ाक हो जाता है, तब साधु-संत उसे माथे पर चढ़ाते हैं। पत्थर का ढेला आग में जलकर आग से अधिक तीखा और मारक”
Munshi Premchand, मानसरोवर 1: प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ

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