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Munshi Premchand
“मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है, ऊपरी”
Munshi Premchand, मानसरोवर 1: प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ

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