Sachin Kumar

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Divya Prakash Dubey
“पता नहीं अगर कभी कोई हिसाब लगता कि समाज ने कितने घरों को जोड़ा और कितनों को तोड़ा है तो शायद ही समाज दुनिया की किसी भी कॉलोनी में मुँह दिखाने लायक बचता।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

Divya Prakash Dubey
“सब कुछ नहीं कह सकते न हम लोग । कुछ चीजें केवल हमारी होती हैं”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

Divya Prakash Dubey
“एक उम्र होती है जब क्लास की खिड़की से बाहर आसमान दूर कहीं जमीन से मिल रहा होता है और हमें लगता है कि शाम को खेलते-खेलते हम ये दूरी हम तय कर लेंगे। दूरी तय करते-करते जिस दिन हमें पता चलता है कि ये दूरी तय नहीं हो सकती, उसी दिन हम बड़े हो जाते हैं”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

Divya Prakash Dubey
“ये जो and please be honest हैं न ये बार बार इसलिए बोला जाता है ताकि गलती से अगर बंदा बातों में आकार भूल गया है कि उसको सब सच बोलना है तो वो एक बार सोच ले और वही बोले जो इंटरव्यू crack करने के लिए ठीक हो । वरना ज़्यादा honest होने के जो भी फ़ायदे नुकसान हैं वो किसी से दुनिया में छुपे थोड़े हैं।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

Divya Prakash Dubey
“मयंक स्कूल में तब तक यशवी के लिए जगह बचाकर रोककर रखता रहा जब तक एक दिन वो उसे भूल नहीं गया । उधर यशवी भी मयंक का तब तक इंतज़ार करती रही और ताजमहल वाले promise और अपनी शादी के बारे में सोचती रही जब तक वो एक दिन मयंक को भूल नहीं गयी और बची कावेरी ....हाँ बची कावेरी..... कभी मम्मी बनकर तो कभी पापा बनकर तो कभी fill in blanks बनकर”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

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