* Publisher: Dharampal Shodhpeeth, Directorate of Swaraj Sansthan, Bhopal
* Publication: 31 March 2022
* Page count: 320
* Format: Paperback
* Description: जल जीवन का आधार है और जल संसाधनों के प्रति भारतीय दृष्टि हमेशा ही स्पष्ट रही है। जल संसाधनों जैसे नदियों सरोवरों और समुद्र के सम्मान में अनेकानेक स्तुतियां हमारे धर्म ग्रंथों में की गई हैं। इसके साथ ही साथ इन ग्रंथों में कृत्रिम जल संरचनाओं के निर्माण हेतु स्पष्ट प्रोत्साहन दिया गया और इन्हे पुण्य और स्वर्ग की प्राप्ति का माध्यम माना गया, वहीं इनको हानि पहुंचाना महान कष्टों का कारक बताया गया। यह दर्शाता है कि किस प्रकार हमारी संस्कृति जल संसाधनों के उचित दोहन से लेकर इनके संरक्षण हेतु दिशा निर्देशन करती रही है। यही कारण रहा है कि प्राचीन काल से ही, मानव निर्मित जल संरचनाओं का बड़े पैमाने पर निर्माण किया गया, जो ना केवल तत्कालीन समय में जल सुरक्षा को सुनिश्चित करती रही होंगी, बल्कि उन्हें तकनीकी विकास की दृष्टि से आश्चर्यजनक माना जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में मध्यप्रदेश के प्राकृतिक जल संसाधनों के साथ साथ मानव निर्मित जल संरचनाओं का विशद अध्ययन किया गया है। यह पुस्तक जहां एक ओर हमें उपलब्ध जल राशि और वर्तमान समय में मांग के साथ उसके कुशल समायोजन हेतु उपयुक्त दृष्टि प्रदान करती है, वही दूसरी ओर जल संसाधनों के सरंक्षण हेतु सदियों से किए जा रहे महत्वपूर्ण उपायों से अवगत कराते हुए, हमें इस क्षेत्र में और अधिक गहन प्रयास करने की प्रेरणा भी देती है।
* Author: Shiv Anurag Pateria
*Editor: Santosh Kumar Verma
* ISBN: 9391806058, 978-9391806057
* Publisher: Dharampal Shodhpeeth, Directorate of Swaraj Sansthan, Bhopal
* Publication: 31 March 2022
* Page count: 320
* Format: Paperback
* Description: जल जीवन का आधार है और जल संसाधनों के प्रति भारतीय दृष्टि हमेशा ही स्पष्ट रही है। जल संसाधनों जैसे नदियों सरोवरों और समुद्र के सम्मान में अनेकानेक स्तुतियां हमारे धर्म ग्रंथों में की गई हैं। इसके साथ ही साथ इन ग्रंथों में कृत्रिम जल संरचनाओं के निर्माण हेतु स्पष्ट प्रोत्साहन दिया गया और इन्हे पुण्य और स्वर्ग की प्राप्ति का माध्यम माना गया, वहीं इनको हानि पहुंचाना महान कष्टों का कारक बताया गया। यह दर्शाता है कि किस प्रकार हमारी संस्कृति जल संसाधनों के उचित दोहन से लेकर इनके संरक्षण हेतु दिशा निर्देशन करती रही है। यही कारण रहा है कि प्राचीन काल से ही, मानव निर्मित जल संरचनाओं का बड़े पैमाने पर निर्माण किया गया, जो ना केवल तत्कालीन समय में जल सुरक्षा को सुनिश्चित करती रही होंगी, बल्कि उन्हें तकनीकी विकास की दृष्टि से आश्चर्यजनक माना जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में मध्यप्रदेश के प्राकृतिक जल संसाधनों के साथ साथ मानव निर्मित जल संरचनाओं का विशद अध्ययन किया गया है। यह पुस्तक जहां एक ओर हमें उपलब्ध जल राशि और वर्तमान समय में मांग के साथ उसके कुशल समायोजन हेतु उपयुक्त दृष्टि प्रदान करती है, वही दूसरी ओर जल संसाधनों के सरंक्षण हेतु सदियों से किए जा रहे महत्वपूर्ण उपायों से अवगत कराते हुए, हमें इस क्षेत्र में और अधिक गहन प्रयास करने की प्रेरणा भी देती है।
* Language: Hindi
*Link: https://www.amazon.in/%E0%A4%9C%E0%A4...