Name- मुर्दे की मौत Author- Hemendra Kumar Roy, Jaydeep Shekhar (Translation) Publisher- Jag Prabha Format- Ebook Pages- 41 Language- Hindi
Description: घड़ी ने टन्न-टन्न कर जब ग्यारह बजाये, तब अवनी को होश आया कि घर भी लौटना है, लेकिन खिड़कियों के बन्द पल्लों से तब भी तूफानी हवाओं के साथ झमाझम वर्षा के टकराने का शोर सुनायी पड़ रहा था।
दिलीप बोला, “अबु, आज घर भूल ही जाओ। यहाँ से निकलने पर तुम्हें तैरना पड़ेगा।”
अवनी खड़े होते हुए बोला, “वही सही। पिताजी मेरा इन्तजार कर रहे होंगे, सारी बातें जानने के लिए। चलता हूँ मैं।”
कहकर अवनी ने दरवाजा खोला। साथ-ही-साथ आँधी-वर्षा की आवाज में घुली-मिली किसी कि भयभीत चीख ने कमरे में प्रवेश किया। अवनी चौंककर रूक गया।
दिलीप भी उछल कर खड़ा हो गया और विस्मित स्वर में बोला, “कौन चीखा?”
दोनों दोस्त उत्कर्ण होकर दरवाजे पर खड़े हो गये। पहले ही बताया गया है कि दिलीप के डेरे के आस-पास कोई बस्ती नहीं थी। इस आँधी-तूफान में किसी के बाहर होने का भी सवाल नहीं था। फिर किसकी चीख थी यह?
Author- Hemendra Kumar Roy, Jaydeep Shekhar (Translation)
Publisher- Jag Prabha
Format- Ebook
Pages- 41
Language- Hindi
Description: घड़ी ने टन्न-टन्न कर जब ग्यारह बजाये, तब अवनी को होश आया कि घर भी लौटना है, लेकिन खिड़कियों के बन्द पल्लों से तब भी तूफानी हवाओं के साथ झमाझम वर्षा के टकराने का शोर सुनायी पड़ रहा था।
दिलीप बोला, “अबु, आज घर भूल ही जाओ। यहाँ से निकलने पर तुम्हें तैरना पड़ेगा।”
अवनी खड़े होते हुए बोला, “वही सही। पिताजी मेरा इन्तजार कर रहे होंगे, सारी बातें जानने के लिए। चलता हूँ मैं।”
कहकर अवनी ने दरवाजा खोला। साथ-ही-साथ आँधी-वर्षा की आवाज में घुली-मिली किसी कि भयभीत चीख ने कमरे में प्रवेश किया। अवनी चौंककर रूक गया।
दिलीप भी उछल कर खड़ा हो गया और विस्मित स्वर में बोला, “कौन चीखा?”
दोनों दोस्त उत्कर्ण होकर दरवाजे पर खड़े हो गये। पहले ही बताया गया है कि दिलीप के डेरे के आस-पास कोई बस्ती नहीं थी। इस आँधी-तूफान में किसी के बाहर होने का भी सवाल नहीं था। फिर किसकी चीख थी यह?