* Title- देखने की तृष्णा * Author(s) name(s)-Sushobhit * ISBN (or ASIN)-8195254977 * Publisher-Rukh Publication * Publication date- 1 june ,2022 * Format-Paperback * Description-इस किताब में कुछ विशिष्ट फ़िल्मकारों और कुछ विशेष फ़िल्मों पर बात की गई है। जैसे दूसरी क़लम ने हिंदी-लेखन में एक बड़े अभाव की पूर्ति की थी, ठीक उसी तरह यह किताब भी करती है। ऐसा नहीं है कि विश्व सिनेमा पर हिंदी में अच्छा नहीं लिखा गया है। किंतु उसमें से अधिकतर लेखन किन्हीं पत्र-पत्रिकाओं के लिए समीक्षा-प्रयोजन से लिखा गया था, इससे उनमें सिनेमा के उन दार्शनिक प्रतिफलनों का प्राकट्य नहीं हो सका है, जो कि अपेक्षित रहता है। साथ ही, हिंदी के लेखकों की दृष्टि समाजशास्त्रीय या वस्तुनिष्ठ अधिक रहती है, जबकि सिनेमा का आधुनिक कलारूप है, जिसे सौंदर्यशास्त्रीय दृष्टि से देखा जाना चाहिए। वैसे प्रयास हिंदी में अधिक नहीं हो सके हैं, और पुस्तकाकार तो और कम हुए हैं। * Page count-192 *Language -Hindi Sushobhit (सुशोभित) *Amazon Link-https://www.amazon.in/Dekhne-Ki-Trish...
* Author(s) name(s)-Sushobhit
* ISBN (or ASIN)-8195254977
* Publisher-Rukh Publication
* Publication date- 1 june ,2022
* Format-Paperback
* Description-इस किताब में कुछ विशिष्ट फ़िल्मकारों और कुछ विशेष फ़िल्मों पर बात की गई है। जैसे दूसरी क़लम ने हिंदी-लेखन में एक बड़े अभाव की पूर्ति की थी, ठीक उसी तरह यह किताब भी करती है। ऐसा नहीं है कि विश्व सिनेमा पर हिंदी में अच्छा नहीं लिखा गया है। किंतु उसमें से अधिकतर लेखन किन्हीं पत्र-पत्रिकाओं के लिए समीक्षा-प्रयोजन से लिखा गया था, इससे उनमें सिनेमा के उन दार्शनिक प्रतिफलनों का प्राकट्य नहीं हो सका है, जो कि अपेक्षित रहता है। साथ ही, हिंदी के लेखकों की दृष्टि समाजशास्त्रीय या वस्तुनिष्ठ अधिक रहती है, जबकि सिनेमा का आधुनिक कलारूप है, जिसे सौंदर्यशास्त्रीय दृष्टि से देखा जाना चाहिए। वैसे प्रयास हिंदी में अधिक नहीं हो सके हैं, और पुस्तकाकार तो और कम हुए हैं।
* Page count-192
*Language -Hindi
Sushobhit (सुशोभित)
*Amazon Link-https://www.amazon.in/Dekhne-Ki-Trish...