घर में जब कोई सामान आता था तो वो समय रहते घर का हिस्सा हो जाता था। जैसे खिड़की के पास रखी कुर्सी। उसके बिना इस घर की कल्पना करना नामुमकिन था। तो ख़ुशियाँ क्यों घर का हिस्सा नहीं हो पातीं? क्यों वो घर के किसी कोने में, किसी कुर्सी की तरह टिक नहीं सकतीं?