Suresh Vyas

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आँखें हमारी क्यों नहीं देख पाती संसार को साफ़-साफ़? क्योंकि हमने आँखों के साथ ‘मैं’ को, स्वार्थ को जोड़ लिया है। हमें लगता है आँखें जो दिखाएँ, उससे हमारी कुछ भलाई हो जाए। तो फ़िर हमारी आँखें आधा-अधूरा देखती हैं, हमारी आँखें बड़े धुँधले तरीके से देखती हैं।
Ashtavakra Geeta / अष्टावक्र गीता (Hindi Edition)
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