Suresh Vyas

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जो तत्त्वज्ञ योगी स्वभाव से ही निर्विकल्प है, उसके लिए अपने राज्य में अथवा भिक्षा में, लाभ-हानि में, भीड़ में अथवा सूने जंगल में कोई अंतर नहीं है।
Ashtavakra Geeta / अष्टावक्र गीता (Hindi Edition)
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