Suresh Vyas

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जो धीर पुरुष अनेक विचारों से थककर अपने स्वरूप में विश्राम पा चुका है, वह न कल्पना करता है, न जानता है, न सुनता है और न देखता है।
Ashtavakra Geeta / अष्टावक्र गीता (Hindi Edition)
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