Suresh Vyas

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बड़े दुखों से मुक्त होओगे, नीचे वाले दुःख उत्पन्न होते जाएँगे, होते जाएँगे, होते जाएँगे। जो कुछ भी अच्छा लगता था, वो भी अंततः दुःख रूप में ही सामने आना है। कुछ ऐसा है नहीं जो हो और दुःख न हो। अष्टावक्र सबको कहते हैं, न मल, न ये, न वो। तुम उसमें सब जोड़ लो, न मल, न तल, न कल, न आज।
Ashtavakra Geeta / अष्टावक्र गीता (Hindi Edition)
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