Suresh Vyas

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अकस्मात मिले हुए को अपना जान लेना ही दुःख है। संयोग को सत्य जान लेना ही दुःख है। जिसने संयोग को संयोग जान लिया, वो जान जाता है कि जो कुछ हो रहा है, वो संयोग ही तो कर रहा है। वो फ़िर संयोग को करने देता है। उसी को कहते हैं कर्म का परित्याग।
Ashtavakra Geeta / अष्टावक्र गीता (Hindi Edition)
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