More on this book
Community
Kindle Notes & Highlights
Read between
January 13 - January 13, 2024
कहने वाले लाख कहते रहें कि आजकल दुनिया में प्यार और ईमानदारी का अकाल पड़ा हुआ है; या यह कि आज की दुनिया धोखाधड़ी और बेईमानी पर टिकी है; पर मुझे दुनिया की अच्छाई पर भरोसा बनाए रखने के लिये कुछ उदाहरण काफी लगते हैं।
आप पाएंगे कि आपके अंदर कुछ बुरा था जो पिघल गया है, कुछ अच्छा था जो मजबूत हुआ है और अब आप ज़िंदगी के प्रति पहले से कुछ ज़्यादा सहज और आशावान हो गए हैं….
करत—करत अभ्यास से जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात से सिल पर होत निसान।”
विवेकानन्द कहते थे कि अपने आप को कमजोर मानने से बड़ा पाप कोई दूसरा नहीं
“यह बहुत जरूरी था। जीवन में अब कभी भी तुम्हारे पर्सेंट से तुम्हारे व्यक्तित्व और तुम्हारी योग्यता का आकलन नहीं होगा, इसलिए अपनी पुरानी कमजोरियों को झूठ के सहारे छुपाने के स्थान पर सच्चाई के साथ उनका सामना करो।”
प्रतिभाएं अकारण आगे नहीं बढ़तीं। वे बढ़ती हैं अपने पुरुषार्थ से, अपने धैर्य से, अपने समर्पण से, अपनी मेहनत से, अपने त्याग से, अपनी प्रबल इच्छाशक्ति से।
“बाहर का अंधकार समस्या नहीं है पांडे, समस्या तब होती है जब हमारा मन सुविधाओं के लालच में समझौतों के अंधकार में डूब जाता है।”
“उड़ान हमेशा ऊँची भरना चाहिए, नहीं मिलेगी मंजिल तो कोई गम नहीं, पंख तो मजबूत होंगे।
यदि आप प्रेम में हैं तो आप जो भी कार्य कर रहे हैं वह उत्साह से करेंगे, प्रसन्नता से करेंगे, पवित्रता से करेंगे, एकाग्रता से करेंगे। “
अपनी क्षमता के साथ न्याय न करना खुद से और इस समाज से अन्याय करना होगा। सारे अपमानों से बदला लेने का एक और केवल एक ही तरीका होता है, वह है सफल होकर दुनिया के सामने खड़े हो जाना।”
किन्हीं दो लोगों की तुलना उनके परिणामों से नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनकी परिस्थितियों और सुविधाओं के आधार पर भी होनी चाहिए।”