“आईएएस, आईपीएस, शिक्षक, लाइब्रेरियन, ये सब जिन्दगी के लक्ष्य नहीं हो सकते। होने भी नहीं चाहिए। ये तो लक्ष्य प्राप्ति के साधनमात्र हैं, वास्तविक लक्ष्य है—इस देश की इमानदारी से सेवा करना। फिर चाहे आईपीएस बना जाए या कुछ और।—अपनी बात पूरी करके मनोज चुप हो गया।”