Nusrat

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“यदि प्रेम है तो विचलन का तो प्रश्न ही नहीं उठता, प्रेम तो स्थिर करता है, एकाग्र करता है। मन की सारी नकारात्मकताओं को दूर करता है। यदि आप प्रेम में हैं तो आप जो भी कार्य कर रहे हैं वह उत्साह से करेंगे, प्रसन्नता से करेंगे, पवित्रता से करेंगे, एकाग्रता से करेंगे। “— त्यागीजी ने प्रेम पर अपने विचार व्यक्त किए।
ट्वेल्थ फेल | Twelfth Fail | 12th Fail: Hara Wahi Jo Ladaa Nahi!!! (Hindi Edition)
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