मनोज ने श्रद्धा से कहा— “हो सकता है कि यह झूठ बोल रहा हो। मुद्दा यह नहीं है कि ये सही हैं या गलत। मुद्दा यह है कि मेरी भावना क्या है? मुझे ये जरूरतमंद दिख रहे हैं। मुझे इनकी मदद करनी है बस। मेरे मन में इस समय इनकी मदद करने के संकल्प के अतिरिक्त कोई संदेह आ ही नहीं रहा। मनोज ने उस आदमी से कहा— “चिंता मत करो। तुम्हें एक हजार रुपए मिल जाएंगे।”