प्राणी की एक निश्चित दिशा में जाने की, एक विशेष गर्भ की ओर जाने की, एक निश्चित शरीर की ओर जाने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। यहाँ तक कि जब आप भौतिक शरीर में होते हैं, तब भी आपमें खास तरह के लोगों की ओर जाने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है, क्योंकि आपके कर्म उसी प्रकार के होते हैं। इसी तरह, जब आपके पास भौतिक शरीर नहीं होता, तब भी आप वही करते हैं।

