हमारी पाँच इंद्रियाँ जिस चीज के भी संपर्क में आती हैं, किसी न किसी रूप में, जाने-अनजाने, सचेतन रूप से या अचेतन रूप से, हम उसके साथ एक निश्चित बंधन स्थापित कर लेते हैं। हम ऐसा केवल अपने आस-पास के लोगों के साथ ही नहीं करते, बल्कि जिस धरती पर हम चलते हैं, जिस हवा में हम साँस लेते हैं और जो कुछ भी हम देखते, सुनते, चखते और स्पर्श करते हैं, उन सभी के साथ हम एक बंधन बाँध लेते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक निश्चित मात्रा मे ऊर्जा का निवेश किए बिना इनमें से कोई भी चीज नहीं होती। आप तब तक किसी चीज को नहीं देख सकते जब तक आप उसमें कुछ ऊर्जा का निवेश न करें। आप

