Rahul

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जिस शून्य ध्यान प्रक्रिया में हम लोगों को दीक्षित करते हैं वह कोई प्रत्यारोपण नहीं है, लेकिन यह भी आपको मृत्यु की याद दिलाता है। हर रोज, जब आप शून्य ध्यान के लिए बैठते हैं, तो आप देखते हैं कि आपका व्यक्तित्व विलीन हो गया है और वहाँ बस एक मौजूदगी है। ध्यान के दौरान, वह हर चीज जिसे आप ‘मैं’ मानते थे, वह ‘कुछ-नहीं’ बन जाता है। यह ऐसा है मानो आप मर गए हों। जब आप अपनी आँखें खोलते हैं तो सब कुछ वहीं पर मौजूद होता है। तो हर रोज, दिन में दो बार आप सचेतन होकर मरते हैं। अगर आप इसे पूरी चेतना में करते हैं, तो जब सच में मृत्यु का समय आएगा तब वह कोई बड़ा मुद्दा नहीं होगा। यह आपको मृत्यु के डर से मुक्त कर ...more
Mrityu/मृत्यु: Jaane Ek Mahayogi Se/जानें एक महायोगी से (Hindi Edition)
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