Rahul

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अगर सचेतन, अवचेतन और अचेतन स्मृतियाँ चली जाएँ, अगर वे अव्यवस्थित भी हो जाएँ या शायद खत्म हो जाएँ, तो ऐसे में आनुवांशिक स्मृति प्रभावी हो जाएगी। अगर आनुवांशिक स्मृति मिट जाए, तब विकासमूलक स्मृति कार्य करेगी। तब भी, जीवन पूरी तरह समाप्त नहीं होगा क्योंकि यह अभी पूरी तरह से भंग नहीं हुआ
Mrityu/मृत्यु: Jaane Ek Mahayogi Se/जानें एक महायोगी से (Hindi Edition)
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