पूरी पहाड़ी पर ट्रेकिंग के बाद जब आप ऊपर पहुँचते हैं, बादल आपके नीचे होता है। आखिर हासिल क्या, कुछ नहीं? स्मृति समय के साथ क्षीण हो जाती है, जितनी देर जिए बस उतनी देर जिए। नशा उतनी ही देर, स्वाद उतनी ही देर, तटों का आकर्षण उतने ही क्षण, समन्दर से प्रेम, जब रात आती है, चाँद उसके रुख से फिसलकर समन्दर के काँधे टिका होता है बस उतने ही समय के लिए।

