Amit Tiwary

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हम जो करते हैं, घावों के लिए करते हैं–घाव जो हृदय बेध देते हैं और जिनके भर जाने के बाद भी उनके दाग़ हमारी आत्मा पर जमे रहते हैं। हमारा होना इसी से सम्भव होता है। हम इतने भर ही होते हैं।
साथ-असाथ
by Anchit
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