मैं तुम्हारी प्यास हो जाता हूँ हर बार, नदी के मुहाने, नंगे पैर, घुटने तक पानी में, उतरी हुई एक लड़की की प्यास, बार-बार हर बार, हर जन्म में, हर मुश्किल प्रश्न से पहले का पूर्ण विराम। मैं तुम्हारी प्यास हो जाता हूँ, बहता हूँ अविरल, तुम्हारी आत्मा के सभी कोनों में समान भाव से–अप्रस्तुत, अपरोक्ष और चिरउपस्थित, भटकता हुआ ही सही–मिटे हुए से फिर पैदा होता हुआ।

