ABHISHEK KUMAR

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यह चीज़ इस लम्बे अरसे से चली आ रही धारणा से मेल खाती है कि यमनाया बाद के समय की मूल-इंडो यूरोपियन भाषा बोलते थे और इन्हीं ने यूरोप तथा एशिया, दोनों जगहों पर इंडो-यूरोपियन भाषाओं का प्रसार किया था।
Aarambhik Bharitya: Hamare Purvaj Kaun they? Unka Aagman Kahan se Hua Tha? (Hindi Edition)
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