ABHISHEK KUMAR

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क्या यह संभव है कि आर्यवर्त की रूढ़ परम्पराओं, जिनमें सामाजिक पदानुक्रम का सख़्त दृष्टिकोण और ‘वर्णसंकरण’ या विभिन्न वर्गों या नस्लों के बीच मिश्रण का विरोध शामिल था आदि ने मगध की अधिक उदार, उन्मुक्त, प्रगतिशील और अनुष्ठान-विरोधी विचारधारा को पराजित कर दिया हो - वह मगध, जिसने इन रूढ़ परम्पराओं को चुनौती दी थी?
Aarambhik Bharitya: Hamare Purvaj Kaun they? Unka Aagman Kahan se Hua Tha? (Hindi Edition)
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