ABHISHEK KUMAR

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आप इसे जिस किसी भी ढंग से देखें, हिन्दुस्तान की आबादी को उसकी मौजूदा शक्ल देने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण तत्त्व ईसापूर्व 2000 के आस-पास अपनी सही जगह बना चुके थे : अफ़्रीका से बाहर आए प्रवासियों के वंशज, ज़ेग्रॉस के खेतिहर, ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा बोलने वाले लोग और तिब्बती-बर्मी भाषा बोलने वाले लोग, लेकिन एक घटक की तब भी कमी थी : उन लोगों की जो ख़ुद को ‘आर्य’ कहते थे।
Aarambhik Bharitya: Hamare Purvaj Kaun they? Unka Aagman Kahan se Hua Tha? (Hindi Edition)
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