ABHISHEK KUMAR

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हम ख़ुद को एक-स्रोतीय नहीं, बल्कि बहु-स्रोतीय सभ्यता के रूप में ही सबसे अच्छी तरह से परिभाषित कर सकते हैं, जो अपनी सांस्कृतिक प्रेरणाएँ, अपनी परम्पराएँ और अपने रीति-रिवाज़ विविध क़िस्म की वंश-परम्पराओं और बाहरी आगमन के इतिहासों से प्राप्त करती है।
Aarambhik Bharitya: Hamare Purvaj Kaun they? Unka Aagman Kahan se Hua Tha? (Hindi Edition)
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