इस सूरमा के भयानक जानवरों से इस तरह निपटने का क़िस्सा एक मिथक है, जो दोनों सभ्यताओं से पहले का है और यह शिकारी-संग्रहकर्ताओं के युग तक पीछे जाता है, और मेसोपोटेमियाई तथा हड़प्पावासी, दोनों ही अपनी शिल्पकृतियों में इसकी अपने-अपने ढंग से व्याख्या कर रहे थे।