Abhishek

14%
Flag icon
यह सही है। इस परम सत्ता को, मनुष्य अपनी आखिरी अदालत मानता है। इस परम सत्ता से मनुष्य दया और मंगल की अपेक्षा करता है। फिर इस सत्ता के रूप बनते हैं, प्रार्थनाएँ बनती हैं। आराधना-विधि बनती है। पुरोहित वर्ग प्रकट होता है। कर्मकांड बनते हैं। सम्प्रदाय बनते हैं। आपस में शत्रु भाव पैदा होता है, झगड़े होते हैं। दंगे होते हैं। मजे की बात यह है कि डाकू भी उसी भगवान का आशीर्वाद माँगकर डाका डालने जाते हैं जिसका आशीर्वाद लेकर आदमी परोपकार करने जाता है।
Awara Bheed Ke Khatare (Hindi Edition)
Rate this book
Clear rating