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November 14 - November 17, 2021
विवेकानन्द कहते थे कि अपने आप को कमजोर मानने से बड़ा पाप कोई दूसरा नहीं है।
“बाहर का अंधकार समस्या नहीं है पांडे, समस्या तब होती है जब हमारा मन सुविधाओं के लालच में समझौतों के अंधकार में डूब जाता है।”—
“उड़ान हमेशा ऊँची भरना चाहिए, नहीं मिलेगी मंजिल तो कोई गम नहीं, पंख तो मजबूत होंगे।
कोई भी असफलता अंतिम नहीं होती। हर असफलता के बाद एक सफलता जरूर मिलती है।”
जिसने आपका कभी भला किया हो, उसका साथ कभी मत छोड़ो।”
“अपनी अयोग्यता को जीतना ही सबसे बड़ी योग्यता होती है। मैं ट्वेल्थ फेल एक अयोग्य लड़का हुआ करता था सर। क्योंकि गाँव के बच्चों को गाँव के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का वह स्तर नहीं मिलता जो शहरों के इंग्लिश मीडियम स्कूल के लड़कों से कॉम्पीट कर सकें। इन अभावों के बावजूद अपने संघर्ष और संकल्प के कारण मैं यहाँ तक आ सका हूँ। किन्हीं दो लोगों की तुलना उनके परिणामों से नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनकी परिस्थितियों और सुविधाओं के आधार पर भी होनी चाहिए।”
‘उठो जागो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक मत रुको’,